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रिश्तों की रोशनी: दिवाली का असली अर्थ
“संपादक से सेल्समैन तक: गिरती पत्रकारिता और बिकता हुआ सच”
स्मार्ट सिटी या जाम पुरी?
हाय बुढ़ापा!! ढलता सूरज और बढ़ती तन्हाई
रिश्तों को तोड़ रही स्क्रीन की लत!
विदेशी तंत्र के शिकंजे में स्वास्थ्य व्यवस्था यानी: जब इलाज मुनाफे का व्यवसाय बन जाए
मंथन: शिक्षा या मज़ाक? भारत की प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा पर खतरे की घंटी!
रोचक गाथा: जाने कब हम बगीची से फार्म हाउस में और दंड-बैठक से रेव पार्टियों तक पहुंच गए!!
गुरु की महिमा सबसे ऊपर- डॉ. पंकज नगायच || गुरु का स्थान सृष्टिकर्ता से भी ऊँचा- डॉ. राकेश शुक्ला
2030 तक बवासीर एक गंभीर स्वास्थ्य संकट: वैज्ञानिक विश्लेषण, रोकथाम और समाधान की दिशा
पहले अपना इलाज़ खुद करो, डॉक्टर साहब:  देश में पनप रहा अनैतिक चिकित्सा व्यवसाय!
पर्यावरण संरक्षण: पेड़ों की कटाई पर प्रतिबन्ध से क्या वाकई बदल रहे हैं हालात?
"वक़्फ़ बिल—अमानत में दख़ल" || बरसों से कब्ज़ा जमाए बैठे लोगों में बेचैनी!! इस्लामी उसूलों के मुताबिक इस्तेमाल हो
सहनशीलता और धैर्य ही है सच्चे मुसलमान की पहचान
मंडलायुक्त जी, सराहनीय है यह पहल लेकिन...
अटल जी के भाषणों में झलकता था अपनत्व
एक और साल विदा होने को है, आगरा के अधूरे वादे: एक शहर की अधूरी आकांक्षाएँ
शादियों में झलकता समाज का विकृत चेहरा!!
क्यों कुछ खास है आगरा?
बौद्धिक चिंतन: क्या है जीव और क्या है "आत्मा"