घरेलू हेल्पर समस्या : पूरन डावर के सुझाव

-------- नजरिया --------- 
सामान्यतः सभी भारतीय घरों में अच्छे हेल्परों की तलाश जीवन पर्यंत बनी रहती है और हर विशेष तौर पर गृहणी इस समस्या से जूझती है और उसके एक-दो घंटे रोज एक नौकर की तलाश और उसके लिये 4-6 कॉल, उसके इंतजार में बीतते हैं।
घर में हेल्पर हो, सफाई वाला (हाउसकीपिंग) हो, कुक या माली, यह समझना ज़रूरी है उसका भी परिवार है उसके भी बच्चे हैं। वह 12 घंटे ड्यूटी देता है। एक घंटा पहले घर से चलता है, एक घंटा लौटने में लगता है, कुल 14 घंटे हो जाते हैं। आठ घंटे कम से कम सोने के लिए चाहिये। न कूलर, न पंखा! करवटें बदलते रात निकलती है। बचे कुल दो घंटे। अब घर का सामान लाए, बीबी से बात करे, बच्चों से बात करे या गरीब के घर की सौ समस्याएं होती हैं, उनको हल करे। ...और आते समय घर में घुसा नहीं कि हमारी डाँट शुरू?? 
हर एक का कम से कम चार का परिवार है और ग़रीबों में 6-8 का। माँ भी, पिता भी, घर का किराया, बच्चों के स्कूल, आना-जाना, खाना और हमारे जैसे लोगों के घर रह कर हमारा रहना-सहना देखना। उनकी इच्छा भी बच्चों को अच्छा पढ़ाने की होती है। तो कम से कम जरूरत के लिये इतना पैसा तो चाहिए।
घरों में लगभग वही काम करते हैं जिन्हें आईक्यू की कमी के कारण फैक्ट्री या होटल में नौकरी नहीं मिलती। क्योंकि घर में गृहणी को काम सुबह सात से लेकर रात को दस बजे तक चाहिये और तनख़ाह न्यूनतम वेतन से कम। इतने पैसों में सीमित बुद्धि का व्यक्ति मिलता है उसके साथ सारा दिन जूझना ही पड़ेगा। 
घरों में लाखों रुपये बिना जरूरत की चीजों पर खर्च किए जाते हैं। महँगे से महँगे बर्तन, क्राकरी, कपड़े, बिस्तर, मशीन और उसे सम्भालने वाले हेल्पर। लेकिन इन हेल्परों को रखने में ही सारी बचत करनी है। फैक्ट्री में आठ घंटे के काम के लिए नौ-दस हजार रुपये अनस्किल्ड हेल्पर को मिलते हैं। सुबह नौ बजे आता आता है और शाम ठीक छह बजे छुट्टी। लेट करता है तो ओवरटाइम। इसीलिए घर के लिए दो-चार लोगों की खोज जिंदगी भर होती है। फैक्ट्री में समय से काम,  ओवरटाइम, ईएसआई से इलाज, पीएफ, पेंशन। लेकिन घर में कुछ नहीं सारा दिन किट-किट। लेट क्यों आया, ये क्यों किया, ये क्यों नहीं किया। होटलों में भी सफाई वाले, कुक, सर्विस वाले सभी होते हैं। वे समय से आते हैं, समय से जाते हैं। 
जीवन ठीक करना है और बच्चों को सुबह छह बजे स्कूल के लिए नाश्ता देना है तो सुबह छह बजे से दोपहर दो बजे तक और दोपहर दो बजे से रात दस बजे तक एक-एक कुक और एक-एक हेल्पर रखने होंगे। न्यूनतम वेतन देना ही होगा। सीखा हुआ कुक है, सीखा हुआ माली है तो सेमिस्किल्ड और समय के साथ स्किल्ड का वेतन।
यह समझ लें कि घर पर काम करने वाले की योग्यता आम फैक्ट्रीवर्कर से बेहतर होनी चाहिए। इस वेतन के अतिरिक्त घर में काम करने वाले का हेल्थ बीमा और हो सके तो पीएफ में रजिस्ट्रेशन अवश्य करायें। यूनिक आईडी होने पर जिस घर में भी कम करेगा पीएफ चालू रहेगा। यदि आप सक्षम हैं और ईश्वर ने सब कुछ दिया है तो यह क्यों न हो। चार लोगों को रोजगार मिलेगा और सब खुश। दो सुबह, दो शाम। समय से आयें, समय से जायें। किसी को सिखाना है तो प्रेम से। दिन में एक बार घर में घूम कर इंस्पेक्शन करो। कहीं गंदा है तो भाई ये साफ कर दो। आगे मुझे न मिले। फिर भी कहीं न कहीं रह जाएगा, कुछ न कुछ अवश्य रहेगा। बस बताना है इसे ठीक करो और ध्यान रखो कि मुझे फिर टोकना न पड़े। चाहे सफाई का या किचन का या रखरखाव का मामला हो, अक्सर लोग आधा घंटा क्लास लेने में बर्बाद करते हैं ऐसा क्यों किया, वैसा क्यों नहीं किया। 
ध्यान रखें कि आपके मन में जो है, आप जो चाहते हैं पहले से ही जानने और करने की क्षमता उसमें होती तो वह यह नौकरी नहीं करता, बल्कि आप जैसा मालिक होता।
लेखक- पूरन डावर
उद्यमी एवम समाजसेवी
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