मिर्गी का दौरा भूत-पिशाच का असर नहीं, छूने या खाँसने के कारण नहीं फैलता यह रोग || राष्ट्रीय मिर्गी दिवस पर चिकित्सकों ने किया लोगों को जागरूक

आगरा, 17 नवम्बर। राष्ट्रीय मिर्गी दिवस पर सोमवार को न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी आगरा एवं यूपी-यूके न्यूरोसाइंस सोसाइटी के बैनर तले शहर के प्रमुख न्यूरोसर्जन और न्यूरो फिजिशियन द्वारा लोगों को जागरूक किया गया। सभी चिकित्सकों ने दिन में अपने-अपने क्लीनिक और अस्पताल पर पत्रक वितरित कर मरीजों और तीमारदारों को जागरूक किया, वहीं शाम को महात्मा गाँधी मार्ग स्थित एक होटल में जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर डॉ. अरविंद अग्रवाल ने कहा कि मिर्गी का दौरा भूत-पिशाच का असर नहीं है। दौरा छूने या खाँसने के कारण नहीं फैलता। यह एक सामान्य चिकित्सकीय स्थित है। 60 फीसदी दौरे के मरीज उपचार के एक से तीन साल में ठीक हो जाते हैं। डॉ. आलोक अग्रवाल ने कहा कि सुप्रसिद्ध खिलाड़ी जोंटी रोड्स, संगीतकार माइक स्किनर, उपन्यासकार थॉम जोन्स और जाने-माने दार्शनिक सुकरात सहित कई हस्तियाँ दौरे की बीमारी से ग्रसित रही हैं। दौरे से ग्रस्त मरीज इन प्रसिद्ध हस्तियों की तरह उचित उपचार के साथ सावधानीपूर्वक सफल जीवन जी सकते हैं।
डॉ. संजय गुप्ता ने बताया कि यह गलत धारणा है कि जूता या चप्पल सूँघने से दौरा ठीक हो जाता है। यह भी भ्रांति है कि दौरा विवाह करने के पश्चात अपने आप ठीक हो जाता है। उन्होंने कहा कि दौरा ग्रस्त सभी व्यक्ति मंदबुद्धि नहीं होते। उन्होंने समझाया कि आमतौर पर लोग मानते हैं कि मिर्गी का मरीज अपनी जीभ को निगल सकता है, यह बिल्कुल गलत है। इसलिए मरीज की जीभ को पकड़ने की कोशिश न करें।
डॉ. विनय अग्रवाल ने उपचार संबंधी आवश्यक बातें बताते हुए कहा कि मरीज को डॉक्टर द्वारा निर्देशित दवाएँ नियमित रूप से खानी चाहिए। दौरे के मरीज द्वारा खाई जाने वाली दवाओं की जानकारी घर के बाकी सदस्यों को भी होनी चाहिए। दवा की मात्रा स्वयं ही कम या ज्यादा नहीं करनी चाहिए।
इस दौरान डॉ. मयंक अग्रवाल, डॉ. राजीव बंसल, डॉ. उद्भव बंसल और गोपाल शर्मा ने भी जागरूकता संबंधी विचार व्यक्त किए। सभी चिकित्सकों ने इस अवसर पर जागरूकता पत्रक विमोचन करके जारी भी किया। 
दौरे की स्थिति में यह करें, यह न करें
1. शांति रखें और लोगों को मरीज के आसपास जमा न होने दें। मरीज के कपड़े ढीले कर दें, खास तौर पर गले के आसपास। 
2. दौरा पड़ने वाले मरीज के मुँह में खाने या पीने की कोई भी वस्तु न डालें। ध्यान रहे कि मरीज के मुँह में कोई भी वस्तु डालने से वस्तु साँस की नली में जा सकती है और मरीज की सांस बंद हो सकती है। मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
3. दौरे के दौरान मरीज को जबरदस्ती पकड़ने की कोशिश न करें। मरीज की किसी भी हरकत को रोकने की कोशिश न करें और मरीज को दौरे के दौरान चिल्लाकर या हिला कर जगाने की कोशिश न करें।
4. दौरे के बाद मरीज को करवट के बल बाँई तरफ लिटा दें और मुँह से निकलने वाली लार या उल्टी को बाहर आने दें। 
5. दौरे के बाद मरीज को पानी या खाने की चीज या दवा तब तक न दें, जब तक वह पूरी तरह होश में न आ जाए।
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