आगरा में धार्मिक आयोजनों के नाम पर करोड़ों की साइबर ठगी नेटवर्क का सनसनीखेज खुलासा, दो गिरफ्तार

आगरा, 21 नवम्बर। एसटीएफ ने धार्मिक आयोजनों के नाम पर ठगी करने वाले एक साइबर गिरोह का सनसनीखेज खुलासा किया है। गिरोह के दो सदस्य गिरफ्तार किये गए हैं और उनके पास से कई एटीएम कार्ड और दो कारें बरामद हुई हैं। यह गिरोह महिलाओं और अन्य लोगों को धार्मिक ट्रस्ट का सदस्य बनाकर उनके बैंक खातों का इस्तेमाल धोखाधड़ी के लिए करता था। शिकायत मिलने पर एसटीएफ ने कार्रवाई की। कथित धार्मिक ट्रस्ट लंबे समय से यूपी और बिहार के कई जिलों में अपना ठिकाना बदलकर ठगी का खेल चला रहा था।
खबरों के अनुसार, यह ट्रस्ट बार-बार अपने बैंक अकाउंट बदलता था, ताकि धन का वास्तविक ट्रेल खोज पाना किसी भी जांच एजेंसी के लिए चुनौती बन जाए। धार्मिक आयोजन, गरीबों की मदद और दान के नाम पर आम लोगों से छोटी-छोटी रकम ली जाती थीं, जिसकी रसीदें तक दी जाती थीं, लेकिन असल में यह पैसा धार्मिक कार्यों में नहीं, बल्कि निजी आर्थिक लाभ और साइबर मनी मैनेजमेंट में खपाया जाता था।
एसटीएफ ने जांच के बाद रवि प्रकाश निवासी बहादुरपुर, देवरिया को गिरफ्तार किया। दूसरे आरोपी अजय सिंह को मैनपुरी से गिरफ्तार किया गया।
गिरोह का एक अन्य सदस्य एलिस निवासी पुनीत अपार्टमेंट जयपुर हाउस अभी फरार है। गिरोह के सरगना अजय उर्फ बिल्लू पर पहले से कई मुकदमे दर्ज हैं। एसटीएफ ने गिरोह से दाे कारें भी बरामद की हैं। इन सभी पर फर्जी पहचान बनाकर बैंक खाते खोलने, दान राशि हड़पने और साइबर फंड ट्रांसफर नेटवर्क चलाने के गंभीर आरोप हैं।
एसटीएफ के इंस्पेक्टर यतींद्र शर्मा ने मीडिया को बताया कि गिरोह के सदस्य रवि ने महिला स्वास्थ्य मिशन ट्रस्ट बना रखा था। जिसकी आड़ में वह धार्मिक आयोजन कराता था। आयोजन में शामिल होने वाली गरीब महिलाओं व लोगाें को अपने ट्रस्ट का सदस्य बनाता था।
पुलिस को इस मामले में शिकायतकर्ताओं ललित कुमार गर्ग और सतीश सिंघल ने जानकारी दी कि उन्हें धार्मिक सेवा के नाम पर पहले ट्रस्ट से जोड़ा गया। धीरे-धीरे अजय ने दबाव बनाना शुरू कर दिया, यहां तक कि मारपीट जैसी घटनाएं भी सामने आईं। आरोपी लोगों को बहकाते थे कि “सरकारी अनुदान" आने वाला है और लोगों से आधार, पैन कार्ड, बैंक पासबुक, चेकबुक मोबाइल नंबर और दस्तावेज़ ले लेते थे। अजय मदद के नाम पर 50,000 रुपये देकर उसे ही दबाव का हथियार बना लेता था। चेकबुक पर पहले से साइन करवा लिए जाते थे और खातों की पूरी कमान आरोपी अपने हाथ में ले लेते थे।
एसटीएफ की जांच में सामने आया कि ट्रस्ट के खातों में साइबर फ्रॉड से आने वाला पैसा बड़ी मात्रा में पहुंचता था। ये रकम झारखंड और नोएडा के साइबर नेटवर्क से आती थी। फिर इसे कई फर्जी खातों में ट्रांसफर किया जाता था। अंत में पैसे को नकद में निकालकर नेटवर्क के सदस्यों तक पहुंचाया जाता था। शिकायतकर्ताओं के नाम पर नए सिम कार्ड, मोबाइल बैंकिंग एक्सेस, ओटीपी कंट्रोल और फर्जी ट्रांसफर दैनिक कार्य की तरह किए जाते थे। एक मामले में ललित के नाती की सहायता के नाम पर लगभग पांच लाख रुपये खर्च कराने का दबाव बनाया गया। 
एसटीएफ की कार्रवाई में 24 एटीएम कार्ड, कई बैंक पासबुक, 32 फर्जी प्लास्टिक कार्ड, आधार/पैन कार्ड (एकाधिक फर्जी पहचान), लैपटॉप, कई मोबाइल फोन, सिम कार्ड, चेकबुक, नोट्स, रसीदें, दान रजिस्टर, दस हजार रुपये नकद बरामद किए गए। ट्रस्ट से जुड़े सभी बैंक खाते, दस्तावेज, सिम कार्ड और डिजिटल ट्रेल की जांच जारी है। जांच एजेंसियां मान रही हैं कि धार्मिक गतिविधियां सिर्फ दिखावा थीं। पर्दे के पीछे साइबर फ्रॉड से आने वाले धन का बड़ा नेटवर्क सक्रिय था।
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