12 अगस्त-विश्व हाथी दिवस: ट्रेनों से टक्कर के कारण दुर्घटनाएँ और मौतें बड़ी समस्याएं

आगरा, 10 अगस्त। बारह अगस्त को 'विश्व हाथी दिवस' के रूप में मनाया जाता है। वाइल्ड लाइफ एसओएस ने इस दिवस के उपलक्ष्य में देश में जंगली हाथियों की स्थिति पर प्रकाश डाला है।
भारत, दुनिया की आधे से अधिक एशियाई हाथियों की आबादी का घर है। हालाँकि, हाथी एक ऐसी गहन समस्या का सामना कर रहे हैं जो उनके आकार जितनी बड़ी है। ये हैं ट्रेनों से टक्कर के कारण होने वाली दुर्घटनाएँ और मौतें। आधिकारिक रिकार्ड्स के अनुसार, वर्ष 2010 और 2020 के बीच ट्रेनों से टक्कर में लगभग 200 हाथी मारे गए। दूसरे शब्दों में, हर साल लगभग 20 हाथी ऐसे हादसों का शिकार हो अपनी जान गंवाते हैं। भारतीय रेलवे देश भर में 1,30,000 किमी लंबे ट्रैक पर फैली हुई है और भारत में 150 हाथी कॉरिडोर मौजूद हैं। इनमें से कई रेल ट्रैक महत्वपूर्ण हाथी कॉरिडोर से होकर गुज़रते हैं, जिससे वन्य आवास हिस्सों में बंट जाते हैं। आवास के इस विखंडन ने दुनिया के सबसे बड़े स्थलचर जानवर के लिए अपने ही घर में ठीक से रहना कठिन बना दिया है।
पिछले साल दिसंबर में, एक दुखद दुर्घटना में, एक मादा हाथी और उसका एक बच्चा उत्तरी भारत के उत्तराखंड के हलद्वानी में रेल की पटरी पार करते समय एक तेज रफ्तार ट्रेन की चपेट में आ गए थे। टक्कर से वयस्क हाथी की मृत्यु हो गई, और बच्चा पिछले पैरों में लकवाग्रस्त हो गया। उत्तराखंड वन विभाग के अथक एवं साहसपूर्ण प्रयासों के परिणामस्वरूप हाथी के बच्चे को समय पर बचा लिया गया। 'बानी' नामक बच्चे को मथुरा स्थित वाइल्डलाइफ एसओएस हाथी अस्पताल में लाया गया और अभी में उसका इलाज चल रहा है। हालाँकि, बानी की कहानी और उसकी हालत रेलवे लाइनों और ट्रेन दुर्घटनाओं के मौजूदा मुद्दे की याद दिलाती है। इस घटना ने वाइल्डलाइफ एसओएस को एक पेटिशन http://wildlifesos.org/trains शुरू करने और भारतीय रेलवे से अपनी ट्रेनों की गति को कम करके और संवेदनशील क्षेत्रों में टकराव को रोकने के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया है।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, भले ही हम बानी को एक दुखद भाग्य से बचा सके, लेकिन अभी भी ऐसे कई हाथी हैं जो ट्रेन दुर्घटनाओं के खतरे का सामना कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य अपनी याचिका पर 30,000 हस्ताक्षर प्राप्त करना और इसे भारतीय रेलवे को सौंपना है। इसलिए हम लोगों से इस पेटिशन पर हस्ताक्षर करने और इस महत्वपूर्ण मुद्दे के समाधान के लिए अपनी आवाज उठाने का आग्रह करते हैं।
वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने कहा, इस 'विश्व हाथी दिवस' पर, हम 'हैबिटैट फ्रेगमेंटेशन' यानि निवासों के विखंडन के खतरे को उजागर करना चाहते हैं। इस मुद्दे पर बात करने का बेबी हथिनी 'बानी' की कहानी से बेहतर कोई तरीका नहीं है, जो इस दुर्घटना के कारण अपने झुंड से अलग होने के साथ-साथ दुखद रूप से अनाथ हो गई।
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजुराज एम.वी ने बताया, 'विश्व हाथी दिवस' हम सभी को हाथियों के महत्व और प्रकृति में उनके स्थान को समझने एवं पहचानने की याद दिलाता है। हमारी पेटिशन भारत में जंगली हाथियों की आबादी के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
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