नेशनल चैम्बर में ट्रेडर्स को रोकने की मंशा पर तीखी प्रतिक्रिया, आम सभा बुलाकर विरोध जताने का ऐलान
आगरा, 06 दिसम्बर। नेशनल चैम्बर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स में संतुलन के नाम पर ट्रेडर्स पर अंकुश लगाने संबंधी खबरों को लेकर तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है। ट्रेडर्स का कहना है कि इसके पीछे चैंबर पर कुछ वरिष्ठ सदस्यों की अपना वर्चस्व बनाए रखने की मंशा है। इसका कड़ा विरोध किया जाएगा। शीघ्र ही चैंबर भवन में सभी ट्रेडर्स की बैठक बुलाई जाएगी।
चैंबर में दो बार कोषाध्यक्ष, एक बार उपाध्यक्ष रह चुके और अध्यक्ष पद की दावेदारी के लिए योग्यता प्राप्त कर चुके गिरीश चंद्र गोयल ने ट्रेडर्स की सदस्यता को लेकर संविधान संशोधन की मंशा का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि संस्था का नाम नेशनल चैम्बर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स है और आगरा में अधिक उद्योग न होने के कारण संस्था में केवल तीन-चार सौ सदस्य ही उद्योगों से जुड़े हुए हैं और करीब बारह सौ सदस्य ट्रेडर्स हैं। संस्था को सदस्यता शुल्क के रूप में एक बड़ी राशि ट्रेडर्स ही चुकाते हैं। चैंबर के वर्तमान स्वरूप और भवन में ट्रेडर्स का बड़ा योगदान है। उनकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा कि चैंबर के कुछ वरिष्ठ सदस्य अपना प्रभुत्व बनाए रखना चाहते हैं। यदि कोई अन्य व्यक्ति सुधारों की बात करता है तो फौरन संविधान का हवाला देकर रोक दिया जाता है और जब इन्हीं वरिष्ठ सदस्यों को अपना हित खतरे में नजर आता है तो संविधान संशोधन की बात करने लगते हैं।
उन्होंने कहा कि जब टीटीजेड के कारण आगरा में उद्योग नहीं पनप पा रहे हैं तो उद्यमियों की संख्या गिरेगी ही। ट्रेडर्स बढ़ रहे हैं तो उनपर रोक के प्रयास क्यों हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इन वरिष्ठ सदस्यों में शामिल कुछेक ट्रेडर्स भी न जाने क्यों मौन साधे हुए हैं। कई साल पहले ट्रेड से जुड़े स्व. सोहनलाल जैन ने जब चैंबर का चुनाव लड़ा था तो उस समय भी उन्हें रोकने की कोशिश हुई थी, लेकिन सोहन लाल जैन अड़े रहे और अध्यक्ष बने थे। गोयल ने कटाक्ष करते हुए कहा कि यदि वरिष्ठ सदस्यों को अपना प्रभुत्व बनाए रखना चाहते हैं तो संस्था का नाम बदलकर सभी ट्रेडर्स को बाहर कर दें। ट्रेडर्स भी इस संस्था को सींचने में बराबर के भागीदार हैं। यदि यही रवैया रहा तो सभी ट्रेडर्स की आम सभा बुलाकर निर्णय लिया जाएगा।
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