नेशनल चैम्बर की कार्यकारिणी की प्रस्तावित बैठक टली, संविधान संशोधन फिलहाल ठंडे बस्ते में
आगरा, 08 दिसम्बर। संविधान संशोधन को लेकर ऊहापोह और प्रतिक्रियाओं के चलते नेशनल चैम्बर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स यूपी आगरा की आज सोमवार को संभावित बैठक टाल दी गई है। फिलहाल संविधान संशोधन के विषय को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
गौरतलब है कि विगत एक दिसंबर को वरिष्ठ सदस्यों की बैठक में संविधान संशोधन के उपायों पर चर्चा की गई थी। बैठक में कहा गया कि इसके लिए सबसे पहले पांच साल बाद संशोधन का नियम हटाना होगा। अगले चरण में संविधान में संशोधन किया जा सकेगा।
इस बैठक के मिनट भी बनाए गए, जिनमें अन्य बिंदुओं के अलावा यह उद्धृत किया गया कि- "विशेष परिस्थितियों में 5 वर्ष से पूर्व किये जा रहे संविधान में परिवर्तन अथवा संशोधन की स्थिति में प्रबन्ध समिति की विशेष बैठक (जिसमें केवल निर्वाचित, अनुमेलित एवं पदेन सदस्य ही होंगे) की सम्पूर्ण संख्या में से कम से कम पूर्ण 1/3 उपस्थित सदस्यों की सर्वसम्मति से अन्यथा उपस्थित सदस्यों के गुप्त मतदान द्वारा पूर्ण 2/3 सदस्यों की सहमति पर मात्र पूर्व निर्धारित बिन्दुओं पर ही संविधान परिवर्तन अथवा संशोधन प्रस्तावित किया जा सकेगा तथा संविधान संशोधन का प्रस्ताव पारित हो जाने पर संविधान समिति का गठन इसी बैठक में कर दिया जायेगा। आगे की प्रक्रिया संविधान में वर्णित नियमानुसार की जायेगी। इस प्रकार विशेष परिस्थितियों में किये जा रहे संविधान परिवर्तन अथवा संशोधन की स्थिति में प्रबन्ध समिति अथवा संविधान समिति संविधान में परिवर्तन एवं संशोधन हेतु कोई अतिरिक्त प्रस्ताव सदस्यों से नहीं मांगेगी और न ही संविधान समिति के सदस्य अलग से अपनी ओर से कोई संविधान परिवर्तन अथवा संशोधन प्रस्तावित करेंगे।"
बैठक में यह भी कहा गया कि इसके लिए कार्यकारिणी की बैठक में प्रस्ताव लाकर 23 दिन में पारित कराना होगा। यह कार्य 31 दिसंबर तक करना था। इसके लिए सोमवार 08 दिसम्बर को कार्यकारिणी की बैठक बुलाने पर सहमति भी बनी। लेकिन अगले दिनों में आईं प्रतिक्रियाओं के बाद कार्यकारिणी की बैठक टाल दी गई। कहा गया कि समय कम होने के कारण प्रस्ताव की प्रक्रिया पूरी होना मुश्किल है।
संविधान संशोधन की मंशा बनाए वरिष्ठ सदस्य अब इस मसले को कुछ माह के लिए ठंडे बस्ते में डालने में लगे हैं। चैंबर अध्यक्ष संजय गोयल ने बताया कि वरिष्ठ सदस्यों से सलाह के बाद सोमवार को कार्यकारिणी की बैठक आहूत करना टाल दिया गया। उनका यह भी कहना है कि संविधान संशोधन कर मताधिकार में वर्गीकरण खत्म करने की मंशा थी। साथ ही सक्रिय सदस्यों की कैटेगरी बनाने पर भी बात हो रही थी।
"न्यूज नजरिया" ने इसका खुलासा करते हुए इशारा दिया था कि ट्रेडर्स के बढ़ते वर्चस्व को कम करने और उद्यमियों के साथ संतुलन बनाए रखने की भी योजना है। चैंबर के एक बुजुर्ग सदस्य ने इसे स्वीकार भी किया था। वे बैठक की जानकारी सार्वजनिक होने को लेकर चिंतित भी नजर आए।
माना जा रहा है कि अब अप्रैल में नई कार्यकारिणी के अस्तित्व में आने के बाद संविधान संशोधनों पर विचार किया जा सकता है।
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