वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस ने सांभर हिरण को सुरक्षित बचाया
आगरा/ मथुरा, 20 दिसम्बर। मथुरा वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस ने संयुक्त अभियान में सांभर हिरण को सुरक्षित बचाया।
मथुरा के गोवर्धन रेंज के लोरियापट्टी गांव से एक नर सांभर हिरण को सुरक्षित रूप से बचाकर दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया। वयस्क सांभर को गांव के अंदर घूमते हुए देखा गया। स्थानीय लोगों ने तुरंत वन विभाग को इसकी सूचना दी, जिन्होंने 24x7 आपातकालीन हेल्पलाइन (+91 9917109666) के माध्यम से वाइल्डलाइफ एसओएस की रैपिड रिस्पांस यूनिट को इसकी सूचना दी। पशु चिकित्सक और प्रशिक्षित बचाव कर्मियों सहित छह सदस्यीय वाइल्डलाइफ एसओएस टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुंची। जानवर को सुरक्षित रूप से पकड़ने के बाद, टीम ने मौके पर ही उसका गहन चिकित्सा परीक्षण किया और पाया कि सांभर काफी थका हुआ था और उसके पिछले हिस्से में खरोंच लगने की चोटें थीं।
उसकी हालत स्थिर करने के लिए तुरंत प्राथमिक उपचार और आवश्यक इलाज किया गया। इसके बाद, हिरण को उसके उपयुक्त प्राकृतिक आवास में ले जा कर वापस छोड़ दिया गया, जिससे जानवर और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। मथुरा के डीएफओ, वेंकट श्रीकर पटेल आई.एफ.एस, ने कहा, “ग्रामीणों द्वारा वक़्त रहते दी गई सूचना पर वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस दोनों ने स्थिति पर सुचारू रूप से प्रतिक्रिया दी। ऐसा सहयोग मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि घायल वन्यजीवों को समय पर सहायता और सर्वोत्तम संभव देखभाल मिलती रहे।”
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “स्थानीय लोगों और वन विभाग से मिली समय पर जानकारी ने हमारी टीम को तुरंत कार्रवाई करने और हिरण को आवश्यक चिकित्सा देखभाल प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई। यह बचाव अभियान वन्यजीव संरक्षण प्रयासों में लोगों की जागरूकता और त्वरित कार्रवाई के महत्व को उजागर करता है।”
पशु चिकित्सा सेवाओं के उप निदेशक, डॉ. इलयाराजा एस ने बताया, “जांच करने पर सांभर काफी थका हुआ पाया गया और उसके पिछले हिस्से में खरोंच लगने की चोटें थीं, जो संभवतः गांव में घूमते समय लगी होंगी। चोटों का इलाज करने और जानवर के तनाव को कम करने के लिए मौके पर ही तत्काल उपचार किया गया।”
सांभर हिरण (रूसा यूनिकलर) भारत में पाई जाने वाली सबसे बड़ी हिरण प्रजातियों में से एक है और इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित किया गया है। आई.यू.सी.एन की रेड लिस्ट में इसे 'वल्नरेबल' श्रेणी में रखा गया है और यह मुख्य रूप से जंगलों और घास के मैदानों में निवास करते हैं। हालांकि, प्राकर्तिक आवास के नुकसान और बढ़ते मानवीय अतिक्रमण के कारण अक्सर इन्हें मानव बस्तियों में शरण लेनी पड़ती है।
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