उपभोक्ता अदालत का फैसला: ट्रेन हादसे में दोनों पैर गंवाने वाले युवक को बीमा कंपनी ने सौंपा 66 लाख से अधिक का चेक

आगरा, 19 दिसम्बर। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग (प्रथम) के अध्यक्ष सर्वेश कुमार और सदस्य राजीव सिंह की बेंच ने नीवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को आदेश दिया कि परिवादी को उसके दावे की रकम 50 लाख रुपये मय ब्याज के अदा करे। साथ ही इलाज खर्च और मानसिक पीड़ा व मुकदमे के खर्च के लिए 2 लाख 50 हजार रुपए हर्जाना भी चुकाया जाए। आयोग ने दुर्घटना दावा का भुगतान न करने के लिए बीमा कंपनी को सेवा में कमी का दोषी पाया। 
कम्पनी की ओर से अदा किए गए 66 लाख, 16 हजार, 439 रुपये का चेक परिवादी को सौंपा गया। बसेरा रेजेडेंसी दयालबाग निवासी प्रांजल गुप्ता ने 29 मार्च 2019 को नीबा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से दुर्घटना पॉलिसी ली थी। 27 दिसंबर 2019 को कालिंदी एक्सप्रेस से यात्रा के दौरान हाथरस जंक्शन के पास प्रांजल ट्रेन से नीचे गिर गए। इस हादसे में उनकी दोनों टांगें कट गईं और वे 80 प्रतिशत स्थाई रूप से विकलांग हो गए। हादसे के बाद जब प्रांजल ने क्लेम पेश किया, तो बीमा कंपनी ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन्होंने पॉलिसी लेते समय अपनी पुरानी बीमा पॉलिसी की जानकारी छिपाई थी और अपनी वार्षिक आय गलत बताई थी। कंपनी का तर्क था कि यह पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन है। इस पर पीड़ित प्रांजल गुप्ता ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम में वाद दायर किया। 
आयोग के अध्यक्ष माननीय सर्वेश कुमार और सदस्य राजीव सिंह ने मामले की सुनवाई करते हुए कंपनी के तर्कों को खारिज कर दिया।अदालत ने कहा कि कंपनी ने ऐसा कोई सबूत नहीं दिया कि पॉलिसी बेचते समय ग्राहक को पुरानी पॉलिसी होने पर क्लेम न मिलने जैसी किसी शर्त के बारे में बताया गया था। आय में मामूली अंतर (4.55 लाख बनाम 5 लाख) को क्लेम खारिज करने का आधार नहीं बनाया जा सकता। पॉलिसी की शर्तों के अनुसार, दोनों पैर गंवाने पर 100 प्रतिशत बीमा राशि (50 लाख रुपये) का भुगतान अनिवार्य है।
आयोग ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने के बाद नीबा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को दावा रकम 50 लाख रुपये छह फीसद वार्षिक ब्याज के साथ अदा करने के आदेश किए। साथ ही इलाज खर्च एक लाख, मानसिक क्षतिपूर्ति एक लाख और वाद व्यय के रूप में 20 हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया। बीमा कम्पनी की ओर जमा कराए गए 66 लाख,16 हजार, 439 रुपये का चेक आयोग में जमा कराया। उक्त राशि का चेक आयोग के अध्यक्ष द्वारा पीड़ित को सौंपा गया।
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