"अरे शरीफ लोग"- चंदा के दीवानों ने हास-परिहास से किया लोटपोट

आगरा, 14 अक्टूबर। सूरसदन प्रेक्षागृह में मंगलवार की शाम कृष्णा बिल्डिंग सोसायटी में रह रहे चार शरीफ लोगों की हरकतों ने रंगमंच प्रेमी दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। एक चंदा नामक युवती के सौंदर्य और अंदाज पर फिदा चार शरीफ लोगों द्वारा अपनी मन की भावनाओं को छुपाने की कवायदों और उजागर होती उनकी मनोवैज्ञानिक कमजोरियों ने सबको खूब हंसाया।
ये नजारे जीवंत किए गुजरात के रंगकर्मियों ने 'अरे शरीफ लोग' नामक हास्य नाटक के प्रभावशाली मंचन के दौरान। जिसका निर्देशन नवनीत चौहान द्वारा किया गया था। मराठी में जयवंत दलवी द्वारा लिखे गए इस नाटक का हिंदी रूपांतरण डॉ. विजय बापट ने किया। 
इस नाटक की हास परिहास से परिपूर्ण कहानी कृष्णा बिल्डिंग में रहने वाले चार अधेड़ उम्र के पुरुषों अनोखेलाल, पंडित सीताराम, बिहारीलाल और डॉ. घटक के इर्द-गिर्द घूमती हुई दिखाई देती है। इन सभी लोगों का जीवन अचानक अस्त-व्यस्त होता चला जाता है जब पड़ोस में "चंदा" नाम की एक बेहद खूबसूरत और चंचल स्वभाव की युवा महिला रहने के लिए आ जाती है। 
ये चारों ही लोग, जो कि खुद को दुनिया की नजरों में बेहद "शरीफ" मानते हैं, चोरी-छिपे खूबसूरत चंदा पर नज़र रखने लगते हैं। सभी अपने अपने अंतर्मन में उसके प्रति एक आकर्षण महसूस करते हैं और उसे खुश करने के लिए तरह-तरह के हास्यास्पद जतन करते दिखाई देते हैं। इसी दौरान चंदा भी अपनी शोखियों से भरपूर अदाओं के अलावा एक खुशबूदार पत्र भेजकर उनके बीच खलबली मचा देती है। नाटक उम्रदराज पुरुषों की उस मानसिकता पर सामाजिक व्यंग्य है, जिसमें वे पत्नियों की निगरानी के बावजूद भी युवा महिला के प्रति आकर्षित होते दिखते हैं। 
कलाकारों में नवनीत चौहान (निर्देशक एवं अनोखेलाल) दीप्ति चौहान (लक्ष्मी जी), प्रदीप कुमार (पंडित जी), वेद कुमारी,(कलावती), चेतन पटेल (डॉक्टर घटक), सीमा राठौर (सरला जी), विजय (बिहारी लाल), धर्मदेव (गोपी), सेन शर्मा (नौकर), सागर (मकान मालिक), इति चौहान (चंदा), सेलेना जॉन (लाइट एंड साउंड) अनिल चौहान (नाट्य संयोजन), विपिन शर्मा (प्रोडक्शन कंट्रोलर) थे।
हम ललित कला मंच, विनय पतसारिया स्मृति समारोह समिति और इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन संस्कृति द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस सांस्कृतिक समारोह  की शुरुआत में वरिष्ठ रंगकर्मी विनय पतसारिया को लेकर डॉ. महेश धाकड़ लिखित निर्देशित डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई, जिसमें विनय पतसारिया से जुड़े संस्मरणों ने आंखें नम कर दीं। 
शुभारंभ अतिथियों द्वारा विनय पतसारिया के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर हुआ। अतिथियों का स्वागत डॉ. रेखा पतसारिया, डॉ. शशि तिवारी, डॉ. अपर्णा पोद्दार, डॉ.ममता सिंह, डॉ. महेश धाकड़, सत्यव्रत मुदगल, नीरज अग्रवाल, चंद्र शेखर, राजीव कुलश्रेष्ठ, चित्राक्ष शर्मा, अभिनव शर्मा, राजीव सिंघल, राहुल गोयल, सचिन गोयल, राम मोहन दीक्षित, अजय शर्मा, ब्रजेश शर्मा ने किया। मंच संचालन हरीश सक्सेना चिमटी ने किया। 
समारोह में विनय पतसारिया स्मृति सम्मान से वरिष्ठ पत्रकार शशि शेखर को नवाजा गया। 
समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय फुटवियर एवं चमड़ा उद्योग विकास परिषद के चेयरमैन पूरन डावर ने कहा कि विनय पतसारिया बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। मंच संचालन से लेकर रंगमंच पर अभिनय और नाटकों के निर्देशन तक हर काम में उनका कोई मुकाबला नहीं था। शारदा ग्रुप के वाइस चेयरमैन वाईके गुप्ता, प्रिल्यूड पब्लिक स्कूल के निदेशक डॉ. सुशील गुप्ता भी मंचासीन रहे।
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