यमुना जलस्तर में बढ़ोत्तरी थमी, लेकिन अभी भी खतरे के निशान से ऊपर, मंडलायुक्त ने किया बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा
आगरा, 09 सितम्बर। पिछले कई दिनों से उफना रही यमुना नदी के जलस्तर में बढ़ोत्तरी अब थमने लगी है। सिंचाई विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, मंगलवार को दोपहर 12 बजे तक यह बढ़कर 501.42 फीट तक जरूर पहुंच गया लेकिन उसके बाद से जलस्तर में बढ़ोत्तरी दर्ज नहीं की गई। रात्रि नौ बजे तक यही जलस्तर बना हुआ था।
हालांकि अभी भी यमुना नदी वाटर वर्क्स पर खतरे के निशान पांच सौ फीट से 1.42 फुट ऊपर बह रही है। शहर और देहात के कई निचले इलाके जलमग्न हैं। उम्मीद की जा रही है कि अब जलस्तर कम होना शुरू हो जाएगा।
इससे पहले यमुना का पानी बेलनगंज बाजार तक पहुंचने लगा। यमुना किनारा मार्ग पहले ही पूरी तरह से पानी से लबालब रहा। दयालबाग की कई कॉलोनियों में पानी भरा हुआ है। रास्ते बंद हो गए हैं। कैलाश मंदिर, बटेश्वर मंदिर और ताजगंज मोक्षधाम के साथ ही विद्युत शवदाह गृह को बंद कर दिए जाने की खबर है। यहां यमुना का पानी पहुंच गया है। पोइयाघाट पहले से ही पानी में डूबा पड़ा है।
बाढ़ से बटेश्वर और बाह के गांव बेहाल रहे। बटेश्वर की शिव मंदिर श्रंखला के घाट डूब गये हैं। घाटों से पानी गलियों और सड़कों पर आ गया। बटेश्वर मेला मैदान डूब गया। मंदिर बाजार से लेकर शौरीपुर सड़क किनारे की दुकानों में पानी भर गया। बटेश्वर के ब्रह्मलाल मंदिर में पानी भर गया।
मंडलायुक्त ने किया प्रभावित क्षेत्रों का दौरा
मण्डलायुक्त शैलेन्द्र कुमार सिंह ने कैलाश गांव, यमुना घाट तथा बाढ़ राहत केन्द्र का निरीक्षण किया। उनके साथ मौके पर एडीएम वित्त व राजस्व शुभांगी शुक्ला, नायब तहसीलदार अनिल चौधरी व तहसील सदर की राजस्व टीम मौके पर मौजूद रही।
मण्डलायुक्त सर्वप्रथम बल्केश्वर स्थित आईटीआई कॉलेज पहुंचे जहां बाढ़ राहत केंद्र बनाया गया है। मौके पर क्षेत्रीय विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल, पार्षदगण और अन्य गणमान्य लोग भी मौजूद रहे जो राहत केंद्र की व्यवस्था में सहयोग कर रहे हैं। इस राहत केंद्र पर लगभग 150 लोग रह रहे हैं।
इसके बाद मण्डलायुक्त ने कैलाश गांव, मंदिर परिसर व यमुना घाट का निरीक्षण किया। उसके बाद वे तहसील किरावली के ग्राम पंचायत सामरा भी पहुंचे जहां उन्होंने क्षेत्रीय विधायक चौधरी बाबूलाल के साथ ट्रैक्टर में बैठकर बाढ़ प्रभावित ग्राम नगला सोमनाथ का निरीक्षण किया। यहां यमुना नदी में आई बाढ़ के कारण किसानों की फसलें व खेत जलमग्न हो चुके हैं।
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