आस्था: डाकिये ने 16 किमी पैदल चलकर बाबा केदार को पहुंचाया सात साल की मिष्ठी का पत्र

देहरादून, 08 जुलाई। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले में एक सात साल की बच्ची मिष्ठी ने जब अपने बीमार दादा के लिए बाबा केदार को पत्र लिखा, तो किसी को अंदाजा नहीं था कि यह पत्र एक चमत्कारी मोड़ ले लेगा।
मिष्ठी के दादा मुनकटिया गांव में गंभीर रूप से बीमार थे। जब डॉक्टरों ने भी उम्मीद छोड़ दी, तब मासूम मिष्ठी ने भगवान शिव को एक पोस्टकार्ड पर पत्र लिखा–
“भगवान, डॉक्टरों ने भी उम्मीद छोड़ दी है। अब आप ही मेरे दादू को ठीक करो।”
उसने यह पत्र गांव में लगी डाक पेटी में डाल दिया। गौरीकुंड डाकघर के पोस्टमैन गणेश गोस्वामी जब यह पत्र छांटते हैं, तो उसे पढ़कर भावुक हो जाते हैं। वे अपनी डाक की ड्यूटी से ऊपर उठकर इसे बाबा केदार तक पहुंचाने का संकल्प लेते हैं।
गणेश गोस्वामी खुद 16 किमी पैदल चलकर केदार धाम पहुंचते हैं और मिष्ठी का पत्र मंदिर में नंदी महाराज के चरणों में अर्पित करते हैं। वे खुद भी उस बच्ची के दादा के स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करते हैं।
कुछ दिनों बाद मिष्ठी को एक पत्र आता है। पत्र में लिखा था - “तुम्हारे दादू जल्दी ठीक हो जाएंगे। तुम अपना भी ध्यान रखना। तुम्हारे भोलेनाथ जी।”
चमत्कारिक रूप से कुछ दिनों में मिष्ठी के दादा ठीक हो जाते हैं। आज मिष्ठी उनके साथ खेलती है। गणेश गोस्वामी कहते हैं, “मैं खुद दुर्गम क्षेत्र में रहता हूं, इसलिए जानता हूं कि एक पत्र का किसी के लिए क्या महत्व हो सकता है।”
यह कहानी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से वायरल हो रही है। लोग इसे एक चमत्कार, आस्था और सेवा का अनूठा संगम मान रहे हैं। डाक विभाग, भारत सरकार ने दिल्ली मुख्यालय से एक डॉक्यूमेंट्री बनाई, जिसमें इस पूरे घटनाक्रम को दिखाया गया। इसका उद्देश्य था डाक विभाग की सामाजिक ज़िम्मेदारी और सेवा को जन-जन तक पहुंचाना।
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