लेफ्टिनेंट कर्नल विजय तोमर के परिजनों ने लगाया हत्या का आरोप || जेल अधीक्षक बोले, हार्ट अटैक से हुई मौत, कोई लापरवाही नहीं, वार्डन छोड़कर नहीं भागे, पोस्टमार्टम की वीडियो रिकार्डिंग होगी, न्यायिक जांच भी होगी
आगरा, 10 सितंबर। फुटवियर कारोबारी सेवानिवृत लेफ्टिनेंट कर्नल विजय पाल सिंह तोमर की जेल से जमानत पर रिहाई से एक दिन पहले अचानक मौत हो जाने को लेकर उनके परिजनों ने पुलिस और जेल प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया है। परिजनों ने साजिश का आरोप लगाते हुए एसीपी सदर सुकन्या शर्मा को तहरीर दी है।
बता दें कि कारोबारी लेन-देन में करीब 2.39 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोप में जेल गए रिटायर लेफ्टिनेंट कर्नल विजय तोमर की रिहाई से ठीक एक दिन पहले मंगलवार को जिला जेल में तबीयत बिगड़ने के बाद मौत हो गई। जेल कर्मचारी उन्हें एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मान विहार कालोनी शमसाबाद मार्ग निवासी रिटायर लेफ्टिनेंट कर्नल विजय तोमर के खिलाफ पिछली 30 अगस्त को सिकंदरा थाने में गबन, धोखाधड़ी, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी देने की धारा के तहत मुकदमा लिखा गया था। मुकदमा कोर्ट के आदेश पर लिखा गया था। फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्ट चैंबर (एफमेक) के पूर्व अध्यक्ष एएस राना की पत्नी सुनीता राना मुकदमे में वादी हैं। मुकदमे में सात लोगों को नामजद किया गया था। सिकंदरा पुलिस ने इस मुकदमे में विजय तोमर के कोर्ट से गैर जमानती वारंट लिए थे और 23 जुलाई को उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेजा था। तभी से वह जेल में बंद थे।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, उनकी पत्नी अलका तोमर का कहना है कि सुबह साढ़े नौ बजे पति से फोन पर बात हुई थी। हाईकोर्ट से जमानत मंजूर होने पर वह खुश थे। एक-दो दिन में रिहाई हो जाती। विजय तोमर के साढू सीआईएसएफ में डीआईजी रहे प्रताप सिंह का कहना है कि वह जेल में विजय से मुलाकात करने जाते थे। मुलाकात मध्यस्थ के माध्यम से होती थी। उसी मध्यस्थ ने फोन करके बताया कि विजय तोमर की जेल में तबियत खराब हो गई है। उन्हें बहुत पसीना आ रहा था। जेलकर्मी उन्हें एसएन मेडिकल कॉलेज ले गए हैं। उस समय दोपहर के करीब ढाई बजे थे। सूचना पर वह रिश्तेदारों के साथ एसएन मेडिकल कॉलेज पहुंचे। वहां स्ट्रेचर पर विजय तोमर का शव रखा मिला। कोई जेलकर्मी वहां मौजूद नहीं था। यह देख परिजन बिफर गए। परिजनों ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच और पैनल से पोस्टमार्टम की मांग की है।
ले. कर्नल की पत्नी अलका तोमर का आरोप है कि उनके पति की मौत जेल में ही हो गई थी। उनकी तबियत ठीक नहीं थी तो समय रहते जेल प्रशासन ने अस्पताल में क्यों नहीं भर्ती कराया। न ही परिवार को पहले से कोई सूचना दी। उन्होंने जेल भिजवाने वालों पर भी हत्या की साजिश का आरोप लगाया।
जिला जेल से जेल वार्डन शशि कुमार एवं शादिक खान एंबुलेंस से विजय तोमर को एसएन मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे थे। चिकित्सकों द्वारा तोमर को मृत घोषित करते ही दोनों जेल वार्डन भाग गए। वहां पर पहुंचे ले. कर्नल के परिजनों को जेल वार्डन नहीं मिले तो उन्होंने यह आरोप लगाया। हालांकि कुछ देर में ही जेल वार्डन वहां आ गए। जेल अधीक्षक हरिओम शर्मा का कहना है कि जेल वार्डन वहीं थे। परिजनों की नाराजगी देखकर वह थोड़े दूर खड़े हो गए थे।
जेल प्रशासन का कहना है कि उन्हें समय-समय पर उपचार दिया गया। किसी स्तर पर कोई लापरवाही नहीं हुई है। जेल अधीक्षक हरिओम शर्मा ने मीडिया को बताया कि रिटायर ले. कर्नल विजय तोमर को हार्ट अटैक के लक्षण दिखने पर मंगलवार को जेल चिकित्सालय में प्राथमिक उपचार के बाद दोपहर 2:49 बजे एसएन मेडिकल कॉलेज भेजा गया। एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों द्वारा 3:04 बजे उन्हें मृत घोषित किया गया। उनका ब्लड प्रेशर एवं शुगर का पहले से इलाज चल रहा था। जेल चिकित्सालय की ओपीडी में 23 जुलाई, तीन अगस्त, 14, 24 एवं 28 अगस्त एवं पांच सितंबर को उपचार दिया गया।
जेल अधीक्षक हरिओम शर्मा के अनुसार रिटायर ले. कर्नल विजय तोमर की मौत की न्यायिक जांच होगी। पोस्टमार्टम भी डॉक्टरों की टीम द्वारा किया जाएगा। पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी भी होगी। जेल के अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। बीपी और शुगर को डॉक्टर लगातार मॉनीटरिंग कर रहे थे। हार्ट अटैक के लक्षण दिखने पर जेल से उपचार के बाद एसएन मेडिकल कॉलेज भेजा गया था। जो भी आरोप लगाए हैं, वह निराधार हैं।
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