पूर्व विधायक कर्दम के घर चोरी में बरामद माल को पुलिस ने कर दिया आधा! अधिवक्ता ने की आयुक्त से शिकायत
आगरा, 06 दिसम्बर। राजीव गांधी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने थाना लोहामंडी पुलिस की भूमिका पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए पुलिस आयुक्त को शिकायती पत्र भेजा है।
पत्र में कहा गया है कि पुलिस ने बरामदगी के समय मिली रकम को अदालत में आख्या देते समय आधा कर दिया और मोबाइल फोन बरामदगी का जिक्र ही नहीं किया। पत्र में कहा गया कि पूर्व विधायक आजाद कुमार कर्दम के यहां उनके घरेलू नौकर रमन ने विगत 13 जनवरी को रात्रि में घर की अलमारी का ताला तोड़कर एक लाख रुपये चोरी कर लिए थे जिसकी रिपोर्ट कर्दम द्वारा 16 जनवरी को थाना लोहामंडी पर मुकदमा अपराध संख्या 6/25 राज बनाम रमन धारा 306 बी एनएस के तहत दर्ज कराई थी। चोर रमन को ऑटो गैंग ने लूट लिया था। पुलिस ने ऑटो गैंग के तीन लुटेरे दीपक निवासी टेढ़ी बगिया एवं कुनाल एवं करण निवासी नरायच को पिछली 16 जनवरी को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने उक्त लुटेरों से ₹20,000 और एक ऑटो रिक्शा बरामद किया था। गिरफ्तार बदमाशों की पहचान करने पुलिस ने चोर रमन को बुलाया था। रमन ने पुलिस को बताया कि उसने चोरी के रुपये में से ₹15,000 का एक मोबाइल फोन खरीद लिया तथा कुछ रुपयों की शराब पी ली तथा शेष रुपये ऑटो गैंग ने लूट लिए।
अधिवक्ता ने कर्दम की ओर से उक्त केस में पैरवी करते हुए इसी साल तीन दिसंबर को एसीजेएम पंचम की कोर्ट में बरामद माल को रिलीज करने के लिए एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। जिस पर कोर्ट ने थाना लोहामंडी से आख्या मांगते हुए सुनवाई के लिए 5 दिसंबर की तिथि नियत की। अधिवक्ता के अनुसार, पुलिस ने अपनी भेजी आख्या में कहा कि उक्त मामले में अभियुक्त से ₹10,000 बरामद किए थे। राशि 10,000 रुपये मालखाना दीवानी में सुरक्षित रखे हैं।
अधिवक्ता का कहना है कि उक्त खबर समाचार पत्रों में छपी थी जिसमें पुलिस ने ऑटो गैंग से ₹20,000 एवं एक ऑटो रिक्शा बरामद बताया था, लेकिन ₹10000 बरामद की आख्या कोर्ट में दी गई। शेष ₹10000 कहां गए? रमन से पुलिस ने ₹15000 में खरीदा गया मोबाइल भी बरामद किया था पुलिस आख्या में उसका जिक्र क्यों नहीं है? ऑटो से शेष रुपयों की बरामदगी का प्रयास पुलिस ने क्यों नहीं किया? और अगर किया तो क्या हुआ?
अधिवक्ता शर्मा ने शिकायत पत्र में कहा कि इसकी जांच कर पुलिस की संदिग्ध भूमिका की जांच कर कठोर कार्रवाई की जाय ताकि अन्य मामलों में भी पुलिस की ऐसी हेराफेरी की कार्रवाई रुक सके।
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