जेलों में बच्चे नहीं, शिक्षक ले रहे मौज!, आरटीआई में खुलासा, कमिश्नर से शिकायत
आगरा, 15 अक्टूबर। सामाजिक संगठन कोशिश फाउंडेशन के अध्यक्ष और चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने आरोप लगाया है कि जेलें शिक्षकों के लिए आरामगाह बनी हुई हैं। बच्चे नहीं हैं फिर भी ड्यूटी के नाम पर मौज ले रहे हैं। बेसिक शिक्षा विभाग ने मूल विद्यालयों से हटाकर चार शिक्षक शिक्षिकाओं को सेंट्रल और जिला जेल में बच्चों को पढ़ाने के लिए भेज दिया है जबकि जेलों में बच्चे हैं ही नहीं लेकिन विभाग शिक्षकों पर मेहरबान बना हुआ है। नरेश पारस का दावा है कि यह खुलासा जेलों से मांगी गई आरटीआई से हुआ।
उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 06 वर्ष की आयु से 14 वर्ष तक की आयु (कक्षा 01 से कक्षा-8 तक) के बच्चों को शिक्षित करने का प्रावधान है। जिला कारागार में महिलाओं के साथ कुछ बच्चे निरूद्ध हैं जिनकी आयु छह वर्ष से कम है। नियमानुसार कारागार में छह वर्ष तक के बच्चों को ही उनकी माता के साथ कारागार में रखने का प्रावधान है। छह वर्ष से कम आयु के बच्चों को महिला एवं बाल पुष्टाहार विभाग द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों में शिक्षण कार्य कराया जाता है। जिला कारागार में आंगनबाड़ी कार्यकत्री आती है। सूचना का अधिकार कानून के तहत मिली जानकारी के अनुसार जिला कारागार एवं केन्द्रीय कारागार में बेसिक शिक्षा विभाग के दो-दो शिक्षक/शिक्षिकाएं संबद्ध किए गए हैं जो शिक्षण कार्य हेतु नियमित कारागारों में जा रहे हैं। जानकारी में बताया गया कि केन्द्रीय कारागार में कोई भी बच्चा निरूद्ध नहीं है।
उन्होंने कहा कि कि जिला कारागार में छह वर्ष से कम आयु के बच्चे निरूद्ध हैं। पूर्व में इन बच्चों को कारागार से बाहर विद्यालयों में पढ़ने हेतु स्कूल भेजा जाता था। उक्त सभी शिक्षक/शिक्षिकाएं उनके मूल विद्यालय से हटाकर कारागारों में संबद्ध किए गए हैं। कारागारों में शिक्षक/शिक्षिकाओं की आवश्यकता नहीं है।
नरेश पारस ने डीएम, कमिश्नर, एडी बेसिक और शिक्षा निदेशालय को भेजे पत्र में कहा है कि जिला एवं केन्द्रीय कारागार में संबद्ध किए गए शिक्षक/शिक्षिकाओं के कार्यों, छात्र-शिक्षक अनुपात, मागपत्रों और प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा की जाए। जब कारागारों में बच्चे नहीं हैं तो शिक्षक/शिक्षिकाओं की कारागारों में कोई आवश्यकता नहीं है। उक्त शिक्षक/शिक्षिकाओं को मूल विद्यालयों में भेजकर अध्यन कार्य कराया जाए। मूल विद्यालय में बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही होगी।
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