दिवाली के दिन अग्निशमन अधिकारी सोमदत्त सोनकर का अनुकरणीय प्रयास! सड़कों पर घूम-घूम कर गरीबों को बांटे मिठाई के डिब्बे, मिली भरपूर दुआएं
आगरा, 20 अक्टूबर। दीपावली का त्यौहार और सड़क किनारे बैठे लोग, कुछ इस उधेड़बुन में थे कि कैसे त्योहार मनाएं तो कुछ यह सोचकर परेशान थे कि अपने बच्चों के चेहरों पर रौनक कैसे लाएं। आज सोमवार की सुबह शहर में कई स्थानों पर गरीब तबके के लोगों का यही हाल था। ऐसे में फायर स्टेशन संजय प्लेस के अग्निशमन अधिकारी सोमदत्त सोनकर उनके चेहरों पर खुशी लाने का माध्यम बने। कुछ तो ऐसे खुश हुए जैसे उनकी मनोकामना पूरी हो गई हो, कुछ इतने भावुक हुए कि दुआएं देने के साथ पैर तक छूने लगे। यह भावुक कर देने वाला नजारा राह चलते लोगों ने भी देखा तो वे भी तालियां बजा उठे। राहगीरों ने सोनकर द्वारा की जा रही मदद की मुक्तकंठ से प्रशंसा की।
संजय प्लेस फायर स्टेशन से सोमदत्त सोनकर जब सुबह निकले तो उनकी गाड़ी में शहर की नामचीन मिठाई की दुकानों के एक-एक किलोग्राम मिठाई के 75-80 डिब्बे थे। संजय प्लेस, बाग फरजाना, दिल्ली गेट, मदिया कटरा, कैलाशपुरी, आवास विकास कालोनी से लेकर पश्चिमपुरी और शास्त्रीपुरम तक उनकी गाड़ी घूमी। मार्ग में जहां-जहां गरीब, असहाय और बेसहारा लोग या काम करते बेलदार आदि मिले तो उन्होंने तुरंत गाड़ी रुकवाई और सभी को एक-एक मिठाई का डिब्बा देते हुए दीपावली की शुभकामनाएं दीं।
सोमदत्त सोनकर ने इस दौरान भिक्षाटन करने वालों की बजाय ऐसे लोगों को चुना जो शारीरिक और आर्थिक रूप से कमजोर होते हुए भी किसी से कुछ मांग नहीं रहे थे और मेहनत, मजदूरी करके रोजी-रोटी की जुगाड़ में लगे हुए थे। कोई रिक्शा खींच रहा था, कोई भगौने में चने बेच रहा था, कोई सड़क किनारे जूते सिल रहा था। कहीं कोई महिला अपने दुधमुंहे बच्चे को गोदी में लिए बेलदारी कर रही थी। कोई कबाड़ बीन कर दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर रहा था। कोई बच्चा गुब्बारे बेचकर पेट पाल रहा था। कोई व्यक्ति सड़क किनारे बैठा भविष्य को लेकर चिंतामग्न था। कोई महिला सड़क किनारे बैठी दस-दस रुपए की वस्तुएँ बेच रही थी। ऐसे लोगों को जब मिठाई के डिब्बे मिले तो वे भावुक हो उठे और दुआएं देने लगे।
सोमदत्त सोनकर पिछले कई साल से इसी तरह गरीबों के चेहरों पर दिवाली की खुशी लाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके बारे में पता चला तो हकीकत जानने के लिए यह संवाददाता भी उनके पीछे हो लिया। इस दौरान सोमदत्त सोनकर सड़कों पर घूम-घूम कर जरूरतमंद लोगों को ढूंढते और उन्हें हैप्पी दिवाली कहकर मिठाई का डिब्बा थमा देते।
सोनकर ने कहा कि वे चाहते तो एक ही जगह खड़े होकर सारे डिब्बे बांट देते, लेकिन इससे बहुत से ऐसे लोग भी लाइन में लग जाते जिनका मांगना ही पेशा है। इसमें समय भी कम लगता। उनके प्रयासों में समय भले ही ज्यादा लगा, लेकिन मेहनतकश गरीब लोगों को लाभ देने के लिए ही उन्होंने अलग-अलग स्थानों को चुना।
मदिया कटरा चौराहे के निकट उन्होंने एक बुजुर्ग को मिठाई का डिब्बा सौंपा तो राहगीर तालियां बजाने लगे। उन्होंने कहा कि पुलिस का यह रूप हमने पहली बार देखा। यदि सभी पुलिस अधिकारी ऐसे हो जाएं तो जनता की उनके प्रति धारणा ही बदल जाए।
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