नहीं टूटी जनकपुरी में बारिश की परंपरा, दोपहर में झमाझम बरसे बदरा, कुर्सियां भीगीं, शाम तक व्यवस्था सुधारने में युद्धस्तर पर जुटी रही टीमें

आगरा, 19 सितम्बर। कमलानगर में पिछले वर्षों में जनकपुरी महोत्सव के दौरान बारिश होते रहने की आशंका सच साबित हो गई। शुक्रवार की दोपहर मेघ झमाझम बरसे। तेज रफ्तार से आई बारिश के कारण सड़कों पर पानी भर गया, नाले-नालियां उफनाने लगे। शिवम पार्क में बना जनक महल भी बारिश से प्रभावित हुआ। पार्क में पानी भर गया, मंच पर बिछे कालीन और सामने दर्शक दीर्घा में रखी कुर्सियां भीग गईं। हालांकि जनक महल के निर्माता सचिन अग्रवाल (पुरुषोत्तम टेंट हाउस) और उनकी टीम ने प्लास्टिक ढक कर अग्रिम दो-तीन पंक्तियों में रखे सोफों को भीगने से बचा लिया।
गनीमत रही कि यह झमाझम बारिश दोपहर में हुई और करीब एक घंटे तक बारिश के बाद तेज धूप भी निकल आई। इससे कुर्सियों और कालीनों को सुखाने का मौका मिल गया। नगर निगम कर्मी और निजी कर्मचारी पार्क में युद्धस्तर पर जुट गए। शाम तक इसमें सफलता मिलती दिखाई दी।
गौरतलब है कि कमलानगर में छठवीं बार जनकपुरी महोत्सव का आयोजन चल रहा है। पिछले इतिहास पर नजर डालें तो लगभग हर बार कमलानगर जनकपुरी महोत्सव में बारिश से विघ्न पड़ता रहा है। रात में चलते कार्यक्रमों और शोभायात्राओं के दौरान भी बारिश होती रही है। एक सप्ताह पहले तक शहरभर में मानसून पूरी तरह सक्रिय था। इसे लेकर सभी चिंतित थे। जनकपुरी समिति ने तो इंद्रदेव को मनाने के लिए यज्ञ भी किया। इधर मानसून कमजोर पड़ने से पिछले एक सप्ताह से अधिक बारिश नहीं हुई। मौसम विभाग ने 19 सितम्बर को तेज बारिश होने की संभावना जताई थी, जो सच साबित हुई।
बड़बोलेपन का मानमर्दन ?
जनकपुरी महोत्सव समिति के एक पदाधिकारी ने गुरुवार की रात्रि जनकमहल के मंच से कहा था कि जनकपुरी महोत्सव समिति इंद्रदेव से भिड़ गई और यज्ञ करके बारिश को रोक दिया गया। लोगों में चर्चा रही कि इंद्रदेव ने समिति के बड़बोलेपन का मानमर्दन करने के लिए ही शुक्रवार को अपना असर दिखाया। प्रभु राम के कार्य में विघ्न भी न पड़े, इसलिए इंद्रदेव ने इसके लिए दोपहर का समय चुना।
व्यवस्थाओं में सुधार की कवायद 
इस बीच गुरुवार को जनकमहल के मंच पर अव्यवस्थाओं के बारे में समाचार पत्रों में प्रमुखता से लिखे जाने के बाद जनकपुरी महोत्सव समिति के प्रमुख पदाधिकारियों ने दोपहर बाद जनकमहल पर बैठक कर व्यवस्थाओं में सुधार तय किया। तय किया गया कि स्वरूपों, राजा जनक उनकी पत्नी, राजा दशरथ, उनकी पत्नी और स्वागताध्यक्ष के अलावा कोई पदाधिकारी मंच पर बिना बुलाए नहीं जाएगा। 
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