रबर चेक डैम पर भ्रम पैदा कर रही केंद्र सरकार, साठ करोड़ रुपये स्वीकृत कर चुकी प्रदेश सरकार, अध्ययन होने के बाद ही मंजूर होती है राशि- डा संजय चतुर्वेदी
आगरा, 03 अगस्त। शहर के विकास के लिए चिन्ता करने वाले और अपने स्तर पर प्रयासरत बुद्धिजीवियों में शामिल डॉ संजय चतुर्वेदी ने एक वक्तव्य में कहा कि ताजमहल के पीछे यमुना नदी में रबर चेक डैम बनाने के लिए प्रदेश सरकार साठ करोड़ रुपये स्वीकृत कर चुकी है। यह राशि सामान्यतः योजना प्रारूप तय होने और आवश्यक अध्ययन हो जाने के बाद ही जारी की जाती है। यदि अब कहा जा रहा है कि “स्टडी करवाई जाएगी,” तो यह कथन एक भ्रम की स्थिति उत्पन्न करता है।
डॉ चतुर्वेदी फतेहपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चाहर के हवाले से एक समाचार पत्र में छपी खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे। खबर में कहा गया है कि केंद्रीय जलशक्ति राज्यमंत्री राज भूषण चौधरी ने संसद में चाहर के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि ताजमहल के नजदीक रबर बांध के निर्माण की अनुमति लेने से पहले उत्तर प्रदेश के सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग (आईडब्ल्यूआरडी) को पानी रोकने के कारण ताजमहल की नींव और संरचना में होने पर संभावित प्रभाव का जल भूवैज्ञानिक अध्ययन कराना होगा।
डॉ चतुर्वेदी ने कहा कि ताजमहल के निकट प्रस्तावित रबर डैम की योजना पर कई वर्षों से तकनीकी, पर्यावरणीय और आर्थिक रिपोर्टें उपलब्ध हैं। प्रदेश सरकार परियोजना के लिए ₹60 करोड़ स्वीकृत कर चुकी है, इसके बावजूद यदि अब कहा जा रहा है कि “स्टडी करवाई जाएगी,” तो यह कथन एक भ्रम की स्थिति उत्पन्न करता है। उन्होंने कहा कि जब रिपोर्टें पहले से सरकार के पास हैं, तो नया अध्ययन करवाने की घोषणा करना न केवल अनावश्यक प्रतीत होता है, बल्कि यह सवाल खड़ा करता है— क्या जानबूझकर संसद को अपूर्ण या भ्रामक जानकारी दी जा रही है?
यदि परियोजना को अब नहीं लागू करना है, तो स्पष्ट रूप से कहा जाए कि नीति में परिवर्तन हुआ है। लेकिन "स्टडी लंबित है" कहकर कार्य को टालना, असमर्थता को छुपाने जैसा लगता है।
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