"आपरेशन सिंदूर" पर प्रतिक्रियाएं - ये नया भारत है, घर में घुसकर मारता है

भारत की शक्ति से दहला दुश्मन– नवीन जैन
आगरा, 07 मई। राज्यसभा सांसद नवीन जैन ने  ऑपरेशन सिंदूर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा,
"यह केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि 140 करोड़ देशवासियों के आत्मसम्मान और सामर्थ्य का विस्फोट था। इस ऑपरेशन ने साबित कर दिया कि भारत की सेना, तकनीकी क्षमता और जनशक्ति मिलकर विश्व मंच पर दुश्मनों की नींद उड़ाने का सामर्थ्य रखती है।"
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत केवल अपनी सीमाओं की रक्षा ही नहीं कर रहा, बल्कि वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। नवीन जैन ने इस अभियान में भाग लेने वाले वीर जवानों को नमन करते हुए कहा, "यह गर्व की बात है कि भारत अब निर्णायक क्षणों में चुप नहीं रहता, बल्कि इतिहास रच देता है। यह ऑपरेशन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा।" 
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भारतीय सेना ने विपक्ष के मुंह भी बंद कर दिए - पुरुषोत्तम खंडेलवाल 
आगरा, 07 मई। विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूत करने के लिए भारतीय सेना को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने कहा कि पाक आतंकवादियों के जनाजे में पाक सेना की उपस्थिति से यह स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान आतंकवादी देश है। भारतीय सेना ने आतंकी ठिकानों के नेस्नाबूत करने के पूर्ण प्रमाण भी तुरंत दिखाकर समाजवादी पार्टी, कांग्रेस व वामपंथी दलों के मुंह बंद कर दिए। 
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सिंदूर के अपमान पर भारत का शौर्य प्रहार- विजय शिवहरे 
आगरा, 07 मई। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री एवं विधान परिषद सदस्य विजय शिवहरे ने भारत सरकार और सेना की कार्रवाई का पूर्ण समर्थन करते हुए कहा, "यह नया भारत है, जो अब घर में घुसकर मारता है।"
उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले को भारत की आत्मा पर हमला बताया और कहा कि इस जवाबी कार्रवाई ने साफ़ कर दिया है कि अब आतंकवाद के खिलाफ भारत की सेना के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खड़े हैं। भारत सरकार ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत सर्जिकल और निर्णायक सैन्य कार्रवाई कर, देश की अस्मिता पर उठे हाथ को जड़ से काटने का संकल्प दिखाया।
शिवहरे ने कहा, "आज राजनीति का समय नहीं, एकता का समय है। हम सब भारतवासी एक स्वर में सेना के साथ खड़े हों और आतंक के हर समर्थक को यह दिखा दें कि यह देश नारी के सिंदूर पर आंच सहन नहीं करता!"
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"जंग अब भी बाकी है, सीमा के भीतर भी और बाहर भी"- पूरन डावर
आगरा, 07 मई। फुटवियर निर्यातक और सामाजिक चिंतक पूरन डावर ने कहा कि कश्मीर में विकास अपने चरम पर था—विश्व के सबसे ऊँचे पर्वतों पर टनल, रेलवे ब्रिज, रेल कनेक्टिविटी, और दो करोड़ से अधिक पर्यटक। कश्मीर के लोग समृद्धि की ओर बढ़ रहे थे। शांति और सद्भाव का वातावरण बनता दिख रहा था—चाहे वह रोज़ी-रोटी के कारण हो या मोदी सरकार का ख़ौफ़—कम से कम पर्यटक अपने को सुरक्षित महसूस करने लगे थे। ऐसी स्थिति में गत 22 अप्रैल को पहलगाम में पर्यटकों पर वीभत्स हमला हुआ। हमलावरों ने पर्यटकों से धर्म पूछकर केवल निहत्थे पुरुषों की हत्या कर दी, वह भी उनकी पत्नियों के सामने। हमले में 26 जानें गईं—जिनमें अधिकांश नवविवाहित पुरुष थे, और उनकी पत्नियाँ विधवा हो गईं। उनके माँग का सिंदूर उजड़ गया।
डावर ने कहा कि यह समझना आवश्यक है कि इतने विकास और असाधारण सुविधाओं के बावजूद, घाटी के कश्मीरी मुसलमानों की मानसिकता में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। ऐसा लगता है कि पाकिस्तान से मोहभंग हो चुका है, परंतु इस्लामिक जिहाद का गठजोड़ अब भी कायम है। कश्मीरी हिंदुओं के संपूर्ण सफाए के बाद भी ‘आज़ादी’ का ज़हर अभी जीवित है। इसका मूल कारण पूर्ववर्ती विशेष रूप से कांग्रेस सरकारों की असमय और लचीली नीतियाँ रहीं। धारा 370 और 35A, पाकिस्तान के प्रति नरम रवैया, और सेना पर बार-बार पथराव—यहाँ तक कि उन पर थूकना—यही दर्शाते हैं कि सैनिकों के हाथ बाँध दिए गए थे। गोली चलाना तो दूर, उन्हें प्रतिरोध का अधिकार तक नहीं दिया गया। यह सब इस्लामिक कट्टरपंथियों को दुस्साहसी बनाता गया और ‘आज़ादी’ की माँग तक पहुँचा दिया।
पहलगाम की घटना निश्चित रूप से सीमा पार से आए पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा, या उनके समर्थन और हथियारों के माध्यम से अंजाम दी गई। लेकिन सक्षम मोदी सरकार ने उसी दिन ललकारा था कि “घर में घुसकर बदला लिया जाएगा” और उन्होंने करके दिखाया। 100 किलोमीटर अंदर तक 24 मिसाइलें दागी गईं, और नौ आतंकी संगठनों का सफाया किया गया।
26 विधवाओं के सिंदूर का बदला शायद पूरा हो गया हो, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि अभी बहुत कुछ करना बाकी है, सीमा के भीतर और बाहर दोनों ही स्तर पर। घाटी की डेमोग्राफी को बदलना अत्यंत आवश्यक है। धारा 35A को पूरी तरह से धरातल पर उतारना होगा। सभी धर्मों के लोगों, सभी भारतीयों को वहाँ बसाना ही समस्या का स्थायी समाधान होगा। सबसे पहले वहाँ सशस्त्र बलों और उनके परिवारों को बसाना होगा, ताकि कोई हमला हो तो जवाब भी दिया जा सके। और यह मोदी हैं, तो मुमकिन है। चाहे सीमापार की नब्ज़ को पकड़ना हो, नदियों को रोकना हो, सैन्य बल का उपयोग करना हो या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करना हो। सरकार की रणनीति में वह क्षमता है।
उन्होंने कहा कि घाटी के भीतर मौजूद इस्लामिक जिहादियों से निपटने की भी एक बड़ी योजना बनानी होगी। और यह भी याद रखना होगा कि कश्मीर के कुछ राजनीतिक परिवारों की मानसिकता भी कम घातक नहीं है। ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि यह घटना कश्मीर में सरकार बनने के बाद ही हुई है। अभी अनेक ‘ऑपरेशन सिंदूर’ करने बाकी हैं। यह बदला पहलगाम के लिए पर्याप्त हो सकता है, पर इससे पहले भी घाटी में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने ऐसे कई सिंदूर उजाड़े हैं, जिनका हिसाब अभी बाकी है।
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यमुना आरती स्थल पर उत्साहपूर्ण जश्न, भारतीय जांबाजों की वीरता को सलाम
आगरा, 07 मई। यमुना आरती स्थल पर बुधवार की शाम उत्साहपूर्ण समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें भारतीय जांबाज लड़ाकों की अदम्य वीरता को सलाम किया गया। भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकवादियों के ठिकानों को ध्वस्त कर देश की शक्ति और संकल्प को प्रदर्शित किया। इस अवसर पर जोशीले नारे गूंजे और उपस्थित सभी लोगों ने हर फ्रंट पर सरकार का समर्थन करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम में यमुना मैय्या की आरती की गई और देश की समृद्धि व सुरक्षा के लिए प्रार्थना की गई। बृज खंडेलवाल, पद्मिनी अय्यर, गोस्वामी नंदन श्रोत्रिय, मुकेश चौधरी आदि ने भाग लिया।
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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सेना पूरे पाकिस्तान को इंडिया में ही मिलाने जा रही- डा सिराज कुरैशी 
आगरा, 07 मई। हिंदुस्तानी बिरादरी के अध्यक्ष डॉ. सिराज कुरैशी ने एक बयान में कहा कि बढ़ते तनाव के बीच शहर के ऐसे परिवार, जिनकी बेटियाँ पाकिस्तान में ब्याही हैं, बेहद गहरी चिंता में हैं। 
उन्होंने बताया कि सदरभट्टी निवासी निज़ामुद्दीन की बेटियाँ रिज़वाना और अमरीन कराची के रहने वाले गुड्डू और कामरान के साथ विवाहबंधन में बंधी थीं। दोनों दामाद आपस में भाई हैं। पिछले कुछ वर्षों से बेटियाँ फ़ोन पर माता-पिता से नियमित बातचीत कर उनका हाल-चाल लेती थीं। लेकिन पहलगाम हमले के बाद से यह संवाद पूरी तरह ठप हो गया है। माँ-बाप अब न तो बेटियों की आवाज़ सुन पा रहे हैं, न ही उनकी खैरियत जान पा रहे हैं। इसी तरह शहीद नगर के ज़ियाउद्दीन का मामला भी कुछ ऐसा ही है। उनके मुताबिक, उनकी मौसी और दो बुआएँ विभाजन के बाद पाकिस्तान चली गई थीं और अब उनके परिवार कराची और हैदराबाद (सिंध) में रहते हैं। वर्षों बाद उनका भांजा भारत आने की योजना बना रहा था ताकि वह अपने मामा और ममेरे भाइयों से मिल सके, लेकिन वर्तमान तनाव ने यह योजना अधर में लटका दी है।
डॉ कुरैशी ने कहा कि भारत-पाक सीमा के तनाव से सबसे ज़्यादा दर्द वे परिवार महसूस करते हैं, जिनके खून के रिश्ते उस पार हैं। वैसे अब किसी मुसलमान को पाकिस्तान जाने एवं वहाँ रहने वाले अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए वीसा की ज़रूरत नहीं होगी क्योंकि इंशा अल्लाह जल्दी ही प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमारी इंडियन आर्मी पूरे पाकिस्तान को इंडिया में ही मिलाने जा रही है। उन्होंने यह भी कहा, “पाकिस्तान 1947 में भारत से बना था, लेकिन इतिहास की यह गलती कई परिवारों को आज भी विभाजन की पीड़ा दे रही है। लेकिन अब समय आ गया है कि पुनः पाकिस्तान का नाम मिटाकर केवल भारत ही नक़्शे पर नज़र आए।”
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