अजब-गजब: मरे हुए व्यक्ति ने किया विवाद, लिखाया बयान!! चार दरोगाओं समेत पांच के खिलाफ मुकदमा दर्ज

आगरा, 22 दिसम्बर। शहर में पुलिस ने एक अजब कारनामा करते हुए एक मरे हुए व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। विवेचक ने मृतक और एक अन्य को आरोपी बनाते हुए चार्जशीट भी दाखिल कर दी। इस मामले अन्य पीड़ित ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो कोर्ट के आदेश पर अब चार दरोगा और एक फाइनेंस कंपनी के अधिकारी के खिलाफ थाना हरीपर्वत में मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, प्रताप पुत्र श्यामलाल निवासी कैलाश आगरा ने श्री राम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी लिमिटेड एमजी रोड शाखा से 1,43,381 रुपये का फाइनेंस कराया था। इस लोन एग्रीमेंट में मंगल सिह निवासी दयानन्द नगर दयालबाग ने बतौर गारंटर साइन किए थे। किस्त न चुका पाने के कारण फाइनेंस कंपनी ने 26 अगस्त, 2018 की एक घटना बताते हुए स्थानीय न्यायालय के आदेश पर थाना हरिपर्वत में प्रताप सिंह और मंगल सिंह पर धोखाधड़ी सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमा लिखाया।
पीड़ित का कहना है कि धोखाधड़ी के मुकदमे में चार विवेचक रहे। इसमें उप निरीक्षक मनीष कुमार, राजीव तोमर, राकेश कुमार, अमित प्रसाद ने विवेचना की। पीड़ित मंगल सिंह का आरोप है कि विवेचकों ने मुकदमे में आरोपी के बारे में कोई भी तथ्य और सही जानकारी नहीं जुटाई। क्योंकि एफआईआर में 26 अगस्त, 2018 में प्रताप सिंह के साथ विवाद होना दिखाया गया है, जबकि प्रताप सिंह की मौत लगभग दो साल पहले ही 12 सितंबर, 2016 में हो चुकी थी। उनका कहना है कि विवेचकों की घोर लापरवाही का खुलासा इस बात से होता है कि केस डायरी के पर्चा नं-12 में दिनांक 25/12/2019 को मृतक प्रताप सिंह का बयान अंकित किया गया है। साथ ही धारा 41 (1) एवी सीआरपीसी के नोटिस विवेचक अमित प्रसाद की ओर से हस्ताक्षर कराए गए हैं।
अब ये कैसे संभव है कि जिसकी मौत 2016 में हो गई हो वह आकर बयान दे दे। उप्र सरकार की ओर से उसका मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी किया गया है।
पीड़ित का आरोप है कि लगातार पुलिस अधिकारियों के पास चक्कर लगाने के बावजूद मुकदमा नहीं लिखा गया। तब उसने कोर्ट की शरण ली। इसके बाद न्यायालय के आदेश पर चारों विवेचकों और फाइनेंस कंपनी के मैनेजर के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया।
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