भव्य रथ पर विराजमान होंगे दूल्हा राम, कार से पहुंचेंगे जनकपुरी के नजदीक, चांदी के रथ में राम नहीं विष्णु-लक्ष्मी के स्वरूप होते हैं विराजमान

आगरा, 08 अक्टूबर। नगर की प्रमुख रामलीला में  राम बरात दस अक्टूबर को नगर परिभ्रमण करेगी और 11 अक्टूबर की सुबह जनकपुरी संजय प्लेस पहुंचेगी। उत्तर भारत की सर्वश्रेष्ठ इस बरात में दूल्हा राम फूलों से सजे भव्य रथ पर सवार होंगे और नगर परिक्रमा करने के बाद कार से जनकपुरी के निकट पहुंचेंगे।
एक समाचार पत्र ने रविवार को खबर प्रकाशित की कि श्रीराम चांदी के रथ पर सवार होकर जनकपुरी पहुंचेंगे, जबकि ऐसा नहीं है। चांदी का रथ जनकपुरी जायेगा जरूर, लेकिन उस पर भगवान विष्णु और लक्ष्मी के स्वरूप विराजमान होंगे। समाचार में यह भी लिखा गया कि तत्कालीन मंत्री लाला कोकामल ने वर्ष 1971 में चांदी का रथ बनवाया। वर्तमान महामंत्री राजीव अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि यह सही है कि चांदी के रथ के निर्माण में लाला कोकामल का प्रमुख योगदान रहा, लेकिन उनका देहावसान वर्ष 1965 में हो गया था और रथ उससे पहले ही तैयार हुआ था।
रामलीला में जब से चांदी का रथ तैयार हुआ, उसके बाद से ही राम बरात में इस रथ पर विष्णु-लक्ष्मी के स्वरूपों को विराजमान कराया जाता है। पूर्व के वर्षों में राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और राजा दशरथ के स्वरूप अलग-अलग हाथियों पर सवार होकर बरात में शामिल होते थे। कुछ वर्ष पहले हाथियों को बरात में शामिल करने पर रोक लगी तो रामलीला कमेटी द्वारा चारों भाइयों और राजा दशरथ के लिए विशाल और भव्य रथ तैयार कराए जाने लगे।
पिछले सालों में राम बरात में एक और बदलाव आया। रात भर बरात के नगर परिक्रमा करने के बाद सुबह चारों स्वरूपों को बिना शोर-शराबे के कारों से जनकपुरी के नजदीक स्थल ले जाया जाता है।
दरअसल, शहर का विस्तार होने के कारण जनकपुरी महोत्सव स्थल भी दूर होने लगे। रातभर नगर परिक्रमा के बाद गाजे-बाजे के साथ राम बरात को जनकपुरी पहुंचने में अधिक समय लगने लगा। रात भर के जगे स्वरूपों की परेशानी कम करने के लिए रामलीला कमेटी के तत्कालीन पदाधिकारियों ने निर्णय लिया कि नगर परिक्रमा के बाद स्वरूपों को कारों से जनकपुरी के निकटतम स्थल ले जाया जाएगा और वहां घंटे-दो घंटे विश्राम दिया जायेगा। इस दौरान रथ और बैंड बाजे वाले अपने साधनों से इस स्थल तक पहुंच जायेंगे। यहां से पुनः बरात के रूप में सभी स्वरूप जनकपुरी में प्रवेश करेंगे। यह निर्णय परंपरा में बदल गया। 
राम बरात में निकलने वाली सभी झांकियां नगर परिभ्रमण करने के बाद विदा हो जाती हैं, केवल राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, राजा दशरथ, गुरु वशिष्ठ, मुनि विश्वामित्र और चांदी के रथ पर विष्णु-लक्ष्मी के स्वरूप ही जनकपुरी पहुंचते हैं। चांदी का रथ जनकपुरी में ही रोका जाता है। रात की शोभायात्रा में सीताजी सखियों सहित इस रथ पर सवार होकर जनक मंच पर पहुंचती हैं। सीताजी की विदाई भी इसी रथ पर होती है। चारों स्वरूप घोड़ों पर आगे-आगे चलते हैं। राजा दशरथ, गुरु वशिष्ठ और मुनि विश्वामित्र एक अन्य रथ पर सवार होते हैं।
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