प्रसव पीड़ा नहीं सहना चाहतीं महिलाएं, इसलिए हो रहे 60 प्रतिशत ऑपरेशन

आगरा, 17 सितम्बर। आगरा आब्स एंड गायकोलाजिकल सोसाइटी द्वारा होटल ताज व कन्वेंशन सेन्टर में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर चिकित्सकों ने चिंता व्यक्त की कि देश में 60 प्रतिशत बच्चे आपरेशन से हो रहे हैं। इसका बड़ा कारण महिलाओं का अधिक उम्र में गर्भधारण करना और प्रसव की पीड़ा को भी न सहने की इच्छा है। हालांकि जटिल मामलों में सिजेरियन डिलीवरी ने मां व शिशु की मृत्यु दर के आंकड़ों को देश में हजार से दहाई के अंक पर पहुंचा दिया है।
आयोजन सचिव डॉ. अमित टंडन ने कहा कि गांव में आज भी सिजेरियन डिलीवरी का ग्राफ शहरों की अपेक्षा कम है। क्योंकि वहां महिलाएं शारीरिक काम और व्यायाम करती हैं। जिससे पेल्विक एरिया मजबूत रहता है। जबकि शहरी महिलाओं में घरेलू काम व व्यायाम न करने के कारण पेल्विक एरिया सिकुड़ जाता है। अधिक उम्र में भी गर्भधारण से जटिलताएं बढ़ जाती हैं और सिजेरियन की सम्भावना भी बढ़ जाती है। 

उन्होंने कहा कि इसके अलावा ऐसी महिलाओं का भी प्रतिशत अच्छा खासा है जो नार्मल डिलीवरी के दर्द को नहीं सहना चाहती। गर्भावस्था और प्रसव के बाद दोनों समय शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम जरूरी हैं। 
डॉ. कमलेश टंडन नर्सिंग होम में आईवीएफ की लाइव कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. जयदीप मल्होत्रा व डॉ. वैशाली टंडन ने प्रशिक्षण दिया। कास्मेटॉलाजी वर्कशॉप का भी आयोजन किया गया।
कार्यशाला के समापन समारोह में आयोजन समिति के सदस्यों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ. सुषमा गुप्ता, डॉ. वैशाली टंडन, डॉ. अनुपम गुप्ता, डॉ. पूनम यादव, डॉ. शिखा सिंह, डॉ. रिचा, डॉ. गार्गी गुप्ता, डॉ. रूपाली, डॉ. अंजली, शुभांजलि सेन, डॉ. स्मिता, डॉ. सविता त्यागी, डॉ. रेखा रानी आदि मौजूद रहे।
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