आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर चार वर्षों में 7024 सड़क हादसे!
आगरा, 25 अक्टूबर। वर्ष 2021 से सितम्बर 2025 तक आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर 7024 सड़क हादसे हुये जिसमें 8355 लोग गम्भीर रूप से घायल हुये और 811 लोगों की मृत्यु हुई। इस अवधि में कारों से होने वाले सड़क हादसों की संख्या सबसे अधिक थी जो 3881 थी जिनमें घायलों की संख्या 4284 और मृतकों की संख्या 369 थी। बसों से होने वाले हादसे कम थे जिनकी संख्या 491 थी लेकिन घायलों की संख्या 2153 और मृतकों की संख्या 170 थी। कुल हादसों के सापेक्ष में कार और बसों से हुये हादसों में मरने वालों का क्रमशः प्रतिशत 45.5 व 21 था।
ये चौंकाने वाले आंकड़ों का खुलासा सुप्रीम कोर्ट सड़क सुरक्षा समिति की विगत 24 अक्टूबर को नई दिल्ली में हुयी बैठक में हुआ। बैठक की अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष जस्टिस अभय मनोहर सपरे ने की। बैठक में सड़क परिवहन व राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के सचिव वी उमाशंकर, ताजनगरी के वरिष्ठ अधिवक्ता के.सी. जैन, उत्तर प्रदेश की ट्रान्सपोर्ट कमीशनर व अन्य वरिष्ठ अधिकारी सम्मिलित हुये।
बैठक में अधिवक्ता के.सी. जैन ने सुरक्षा, पारदर्शिता तथा जवाबदेही के उच्चतम मानकों पर आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे को संचालित किए जाने को लेकर कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
इनमें कहा गया कि प्रत्येक तिमाही एक्सेस कंट्रोल ऑडिट अनिवार्य किया जाए, सीसीटीवी निगरानी व पुलिस समन्वय सुनिश्चित किया जाए, तथा धारा 198ए मोटर वाहन अधिनियम के तहत सड़क डिजाइन और रखरखाव की जवाबदेही स्पष्ट की जाए। धारा 115 मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत अधिसूचना जारी कर दोपहिया व अन्य धीमी गति वाले वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाए। मीडियन पर संपूर्ण लंबाई में मेटल बीम क्रैश बैरियर आवश्यक है। जब तक सभी सुरक्षा तंत्र पूर्ण नहीं हो जाते, अधिकतम गति सीमा 100 किमी/घंटा रखी जानी चाहिए। हर 40 किमी पर विश्राम स्थल बने, बसों में ड्राइवर अलर्ट सिस्टम लगाना अनिवार्य किया जाए, और डेटा से नींद से जुड़ी दुर्घटनाओं का विश्लेषण किया जाए। टोल प्लाजा पर टायर प्रेशर जाँच केंद्र स्थापित किए जाएँ।
बैठक में सड़क सुरक्षा समिति द्वारा यूपीडा को आवश्यक कार्यवाही के निदेश दिये गये।
______________________________________
Post a Comment
0 Comments