राम-सीता विवाह की तैयारियों में जुटा राजा जनक परिवार

आगरा, 10 सितम्बर। कमलानगर जनकपुरी महोत्सव में राजा जनक की भूमिका निभा रहे राजेश अग्रवाल के परिवार में उत्सव का माहौल है। 18 सितम्बर को राम-सीता विवाह की रस्में पूरी होनी हैं। इसके लिए पूरा परिवार जुट गया है। बंधु-बांधवों, रिश्तेदारों को निमंत्रण दिए जा रहे हैं।
परिवार इस उत्सव को यादगार बनाने की हरसंभव कोशिश कर रहा है। महिलाएं शादी की खरीदारी में लगी हैं। राजेश अग्रवाल की चारों बहनें, दोनों बहुएं पलक और मलाइका भी उनका हाथ बंटा रही हैं। सीता जी का लहंगा, आभूषण और विवाह संबंधी सामान आ चुका है। दोनों बेटे अनुराज और पर्व भी अपनी पत्नियों के साथ खरीदारी में जुटे हैं। परिवार का प्रयास है कि सनातन धर्म के अनुसार विवाह की सभी रस्मों का आयोजन किया जाए। हल्दी, मेंहदी, महिला संगीत सभी की तैयारी चल रही है।
राजेश अग्रवाल और उनकी पत्नी अंजू अग्रवाल कहती हैं कि उनके दो पुत्र ही हैं। सीता विवाह की भूमिका मिलने से उनके पुत्री की कमी का अहसास खत्म हो गया हैं। जगत जननी सीता के माता-पिता बनने का सौभाग्य परिवार के पुण्य का ही प्रताप है।
राजेश अग्रवाल का पचास से अधिक सामाजिक, धार्मिक, औद्योगिक और व्यापारिक संस्थाओं से जुड़ाव है। कमलानगर में अनेक दावेदारों के बीच उन्हें यह भूमिका मिलना भी इसी सेवाभाव का परिणाम है। यूं तो रामचरित मानस के प्रति शुरू से उनका झुकाव रहा है, अब जनक की भूमिका मिलने के बाद से उन्होंने राजा जनक के महान चरित्र को अधिक पढ़ना शुरू कर दिया है। जनक के गुरु अष्टावक्र द्वारा रचित "अष्टावक्र गीता" का भी वे अध्ययन कर रहे हैं।
घर में आई "सिया"
पत्नी अंजू अग्रवाल कहती हैं कि डेढ़ माह पहले उनके घर में पौत्री का जन्म भी ईश्वर का आशीर्वाद है। राजा जनक और रानी सुनयना की भूमिका के मिलने के बाद जन्मी बालिका का नाम भी उन्होंने "सिया" ही रखा है। सिया की मां छोटी बहू मलाइका भी बेटी को जन्म देकर आह्लादित हैं। वे कहती हैं कि उनका उत्साह दुगुना हो गया है।
विरोधियों की साजिश थी एक घटना
राजेश अग्रवाल कहते हैं कि उनका परिवार पहले दाल मिल व्यवसाय से जुड़ा था बाद में रसोई में इसे प्रयोग होने वाले आटा, बेसन, पोहा आदि अनेक वस्तुओं के व्यापार में आ गया। उन्होंने कहा कि व्यापार में गुणवत्ता से समझौता न करने की सीख उन्हें घर के बुजुर्गों से मिली। कुछ महीनों पहले उनके उत्पादों की गुणवत्ता पर सवाल उठने की एक घटना को उन्होंने विरोधियों की साजिश बताया। राजेश ने दावा किया कि घटना के कुछ दिनों बाद विरोधियों ने इस घटना को अंजाम देना बाजार में स्वीकार किया।
गौसेवा के प्रति विशेष अनुराग
राजेश अग्रवाल का सामाजिक, धार्मिक कार्यों के साथ ही गौसेवा के प्रति विशेष अनुराग है। वे अग्रवन स्थित गौशाला से जुड़े रहे हैं और संस्था की बेहतरी के लिए उल्लेखनीय योगदान दे चुके हैं। कर्मयोगी गौशाला और चुरमुरा गौशाला में भी उनका योगदान रहा है। यही नहीं, कुबेरपुर स्थित अपने फार्म हाउस में भी उन्होंने गौशाला की स्थापना की है।
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