आगरा के पच्चीकारी शिल्प को बड़ी राहत, जीएसटी 12 से घटकर 5 प्रतिशत, टूरिस्ट वेलफेयर चैंबर ने जताया आभार

आगरा, 03 सितम्बर। संगमरमर पर पच्चीकारी शिल्प से जुड़े शिल्पियों और निर्यातकों के लिए बुधवार का दिन ऐतिहासिक रहा। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि स्टोन आर्टवेयर और स्टोन इनले वर्क पर लागू वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को 12 प्रतिशत से से घटाकर 5 प्रतिशत किया जा रहा है। यह घोषणा उन शिल्पियों के लिए बड़ी राहत है, जो पिछले कई वर्षों से ऊँचे कर ढांचे और विदेशी बाजारों में बढ़ती मुश्किलों से जूझ रहे थे।
जिले का संगमरमर पच्चीकारी उद्योग अब तक अपनी बिक्री का लगभग 80 प्रतिशत अमेरिका जैसे बड़े निर्यात बाजारों पर निर्भर करता था। लेकिन हाल ही में अमेरिका ने भारतीय हस्तशिल्प पर 50 प्रतिशत का भारी आयात शुल्क लगा दिया। इससे निर्यात ऑर्डर अचानक कम हो गए और उद्योग पर दोहरी मार पड़ी। एक ओर विदेशी खरीदार महंगे टैरिफ से दूर हट रहे थे, दूसरी ओर घरेलू खरीदारों को 12% जीएसटी दर के कारण ये उत्पाद महंगे लग रहे थे। यदि समय पर सरकार ने दर में कमी नहीं की होती, तो हजारों शिल्पियों की आजीविका पर संकट मंडरा सकता था।
जीएसटी लागू होने के बाद 2017 से ही आगरा टूरिस्ट वेलफेयर chamver लगातार इस कर को कम करने की मांग करता रहा। इस सिलसिले में चैंबर पदाधिकारियों ने लखनऊ और दिल्ली की अनगिनत यात्राएँ कर संबंधित मंत्रियों और अधिकारियों से मुलाकातें कीं। चैंबर की कोशिशों से ही संगमरमर पच्चीकारी को जीएसटी शेड्यूल में अलग उपशीर्षक (68159990) के तहत दर्ज कराया गया। दो दिन पहले ही चैंबर अध्यक्ष प्रहलाद अग्रवाल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल लखनऊ में उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना से मिला, जहाँ मंत्री ने दरों में राहत के संकेत दिए थे।
आगरा टूरिस्ट वेलफेयर चेम्बर के अध्यक्ष प्रह्लाद अग्रवाल ने कहा, “यह पूरे उद्योग और आगरा के लिए ऐतिहासिक पल है। हमारी लगातार कोशिशों ने पहले इस शिल्प को जीएसटी में अलग पहचान दिलवाई और अब कर दर घटाने में सफलता मिली। इससे हजारों परिवारों को सीधी राहत मिलेगी और सदियों पुराना यह शिल्प नई जिंदगी पाएगा।”
निर्यातक और कलाकृति के संस्थापक अशोक जैन ओसवाल ने कहा, “दर घटने से घरेलू बिक्री बढ़ेगी और विदेशी बाजारों में भी प्रतिस्पर्धा आसान होगी। अमेरिकी टैरिफ से जो झटका लगा है, उसकी भरपाई अब भारतीय बाजार से आंशिक रूप से संभव होगी। यह निर्णय हमारी अंतरराष्ट्रीय स्थिति को मजबूत करेगा।”
नेशनल चैम्बर के टूरिज्म एंड हैंडीक्राफ्ट प्रकोष्ठ के चेयरमैन राजीव तिवारी ने कहा, "आगरा के लगभग 35,000 से अधिक शिल्पी इस कला से जुड़े हैं, जिनमें से अधिकांश वंचित और कमजोर तबकों से आते हैं। 12% से 5% की दर पर आने से उत्पाद आम उपभोक्ताओं और पर्यटकों की पहुँच में होंगे। इससे बिक्री और रोजगार दोनों बढ़ेंगे।"
_________________________________

ख़बर शेयर करें :

Post a Comment

0 Comments