विश्व हाथी दिवस: भीख मांगते हाथियों को बचाने में जुटी है वाइल्ड लाइफ एसओएस

आगरा, 11 अगस्त। विश्व हाथी दिवस 2025 मंगलवार 12 अगस्त को मनाया जाएगा। हाथियों के संरक्षण समर्पित संस्था वाइल्ड लाइफ एसओएस अपने बेगिंग एलीफेंट अभियान के माध्यम से पीड़ित हाथियों को बचाने और बदलाव लाने के लिए अथक प्रयास कर रही है।
संस्था ने इसी क्रम में देश में कैप्टिव हाथियों की गंभीर समस्याओं में से एक हाथियों से भीख मँगवाने की क्रूर प्रथा पर प्रकाश डाला। संस्था के अनुसार, सबसे मार्मिक कहानियों में से एक है 72 वर्षीय हथिनी रामू की, जिसने तीन दशक से ज़्यादा समय उदयपुर की सड़कों पर भीख माँगते हुए बिताया। जब तक वाइल्डलाइफ एसओएस को बुलाया गया, तब तक वह गंभीर रूप से बीमार हो चुकी थी, पैरों में सड़न के कारण हिल-डुल नहीं पा रही थी और उसका शरीर अनुपचारित घावों से भरा हुआ था। चौबीसों घंटे देखभाल के बावजूद, मई 2025 में रामू का दु:खद निधन हो गया। उसकी कहानी इस बात का एक सशक्त प्रतीक बन गई है कि बदलाव क्यों इंतज़ार नहीं कर सकता।
इस अभियान के तहत अब तक दो नर हाथियों - मनु और हरि - को संस्था द्वारा सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया जा चुका है। मनु के पैर के नाखून बुरी तरह से फटे हुए थे और पैरों में पुरानी बीमारियाँ थीं, जो बरसों तक गर्म डामर वाली सड़कों पर चलने का नतीजा थीं। हरि, एक नर हाथी, हाल ही में लंबी जद्दोजहद के बाद बचाया गया है, और वर्तमान में उसका इलाज और व्यवहारिक पुनर्वास चल रहा है।
संस्था नागरिकों से हाथियों द्वारा भीख मांगने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने तथा पशु कल्याण कानूनों को अधिक मजबूती से लागू करने की मांग वाली याचिका पर हस्ताक्षर करने का आग्रह कर रही है। संस्था अपने बेगिंग एलीफेंट अभियान के माध्यम से कैद में रह रहे हाथियों के शोषण को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व भी कर रही है, जो शहरी सड़कों, शादी के जुलूसों और भीख मांगने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मंदिरों से दुर्व्यवहार किए गए हाथियों को बचाती है, उन्हें दीर्घकालिक चिकित्सा देखभाल और अभयारण्य प्रदान करती है।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, "बेगिंग एलीफैंट अभियान, इंसानों के मनोरंजन के लिए शहर की सड़कों पर घूमने को मजबूर हाथियों की मूक पीड़ा को समाप्त करने की दिशा में हमारा अब तक का सबसे साहसिक कदम है। हमने देखा है कि उपेक्षा और क्रूरता क्या कर सकती है, लेकिन हमने यह भी देखा है कि देखभाल और नीतिगत बदलाव से क्या हासिल हो सकता है। यह अभियान सिर्फ़ एक मिशन नहीं है - यह एक आंदोलन है।"
सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने कहा, "इन हाथियों ने अकेलापन, मार-पीट, भुखमरी और थकावट जैसी क्रूरता सहन की है। अब उन्हें देखभाल, करुणा और सम्मान की ज़रूरत है। हमारी टीम उन्हें यह सब दे रही है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करने के लिए एक बड़े पैमाने पर लोगों के समर्थन की ज़रूरत है जिससे कोई भी हाथी इससे वंचित ना रहे जाए।"
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी. ने कहा, "वन विभागों ने इन बचाव अभियानों को संभव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।" उन्होंने आगे कहा, "इस तरह की प्रगति दर्शाती है कि जब सरकार, गैर-सरकारी संस्थाएं और नागरिक मिलकर काम करते हैं तो क्या संभव है।"


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