सांसद नवीन जैन ने राज्यसभा में पूछे वृक्षारोपण व वृक्ष संरक्षण के सवाल, उत्तर प्रदेश का सबसे अच्छा प्रदर्शन

आगरा, 06 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य नवीन जैन ने मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में वृक्षारोपण और वृक्षों के संरक्षण से जुड़े एक अहम पर्यावरणीय मुद्दे पर सरकार से कई महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे।उन्होंने यह जानना चाहा कि क्या सरकार वृक्षों के संरक्षण और वनों के क्षेत्र में वृद्धि हेतु कोई नई योजना शुरू करने जा रही है? विशेष अवसरों पर किए गए वृक्षारोपण की निगरानी कैसे की जा रही है और उनमें से कितने वृक्ष जीवित हैं? विगत वर्षों में वृक्षारोपण के क्या आंकड़े हैं? भवन निर्माण के कारण काटे गए वृक्षों की प्रतिपूर्ति को लेकर क्या नियम हैं? इन प्रश्नों पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लिखित उत्तर में सरकार की नीति और प्रयासों की विस्तृत जानकारी दी। मंत्री ने बताया कि सरकार "हरित भारत" के निर्माण हेतु समग्र सरकारी दृष्टिकोण के साथ-साथ सम्पूर्ण समाज की भागीदारी को भी अत्यंत आवश्यक मानती है। इसी क्रम में “एक पेड़ मां के नाम” जैसी पहल को लोगों में पर्यावरणीय जुड़ाव बढ़ाने वाला बताया गया।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में निम्नलिखित योजनाओं के अंतर्गत वनीकरण कार्य किया जा रहा है: 
राष्ट्रीय हरित भारत मिशन (GIM)
नगर वन योजना (NVY)
मैंग्रोव पहल (MISHTI)
प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (CAMPA)
राज्य वित्तपोषित विशेष पहलें
वृक्षारोपण अभियानों की पारदर्शिता और प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए जियो टैगिंग, स्थलीय निरीक्षण, और फोटोग्राफिक दस्तावेजीकरण जैसे उपायों को अपनाया गया है। मंत्री ने कहा कि सरकार केवल पौधे लगाने पर नहीं, बल्कि उनकी जीवितता और दीर्घकालिक संरक्षण पर भी जोर दे रही है।
राज्यसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2020-21 से 2024-25 के बीच देशभर में कुल 2,00,80,595 हेक्टेयर क्षेत्र में वृक्षारोपण किया गया। जिसमें उत्तर प्रदेश ने सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए 23,49,729 हेक्टेयर क्षेत्र में वृक्षारोपण किया। इसके बाद तेलंगाना (15,50,871 हेक्टेयर) और गुजरात (11,38,066 हेक्टेयर) प्रमुख राज्यों में रहे।
भवन निर्माण से जुड़ी परियोजनाओं को पर्यावरणीय स्वीकृति तभी प्रदान की जाती है, जब वे अपनी पर्यावरण प्रबंधन योजना (ईएमपी) के अंतर्गत हरित पट्टी के विकास, प्रतिपूरक वृक्षारोपण, पर्यावरणीय संतुलन की पुनःस्थापना तथा जैव विविधता संरक्षण जैसे निर्धारित मानदंडों का पूर्णतः पालन करती हैं।
EIA अधिसूचना 2006 के तहत वृक्षारोपण को अनिवार्य घटक के रूप में शामिल किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि हटाए गए पेड़ों की भरपाई हो और साथ ही स्थानीय वृक्ष प्रजातियों का संरक्षण भी किया जाए।
सरकार के अनुसार, यह नीति पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ टिकाऊ शहरी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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