चैंबर स्थापना दिवस पर सम्मान और वैक्सीन को लेकर उठे मुद्दे, पूर्व अध्यक्ष प्रदीप वार्ष्णेय ने उठाए सवाल, अध्यक्ष संजय गोयल ने दिए सिलसिलेवार जवाब
आगरा, 02 अगस्त। नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स यूपी की जिला शाखा के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को लेकर कुछ मुद्दे उठे हैं। राज्यपाल के हाथों सम्मानित एक पूर्व अध्यक्ष ने उन्हें दिए गए स्मृति चिन्ह पर लिखी इबारत को लेकर खिन्नता जाहिर की। उन्होंने लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड के मापदंडों पर भी सवाल खड़े किए। एक दिन पहले वैक्सीन मामले में रोटरी क्लब की भी चैंबर के प्रति नाराजगी मीडिया में चर्चा का बन चुकी है।
चैंबर ने स्थापना दिवस पर 75 साल या उससे अधिक आयु के पूर्व अध्यक्षों का सम्मान किया था, हालांकि कार्यक्रम से कुछ घंटे पहले तक चैंबर अध्यक्ष संजय गोयल ने "न्यूज नजरिया" से कहा था कि चूंकि चैंबर के 77 वर्ष पूरे हो रहे हैं इसलिए 77 वर्ष या उससे अधिक आयु के पूर्व अध्यक्षों के सम्मान का निर्णय लिया गया है। लेकिन कार्यक्रम के दौरान 75 वर्ष या अधिक आयु वाले पूर्व अध्यक्षों का सम्मान किया गया। चर्चा है कि एक पूर्व अध्यक्ष के लिए यह निर्णय बदला गया।
सत्तर होर्डिंग लग सकते हैं पर पट्टिका पर फोटो नहीं
पूर्व अध्यक्ष प्रदीप वार्ष्णेय उन्हें सम्मान बतौर मिले स्मृति चिन्ह की इबारत से बेहद खफा हैं। उन्होंने चैंबर के पूर्व अध्यक्षों के व्हाट्सएप ग्रुप में अपनी नाराजगी जाहिर कर दी। उन्होंने लिखा कि कम से कम यह तो लिखा जाना चाहिए था कि यह सम्मान राज्यपाल द्वारा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब स्थापना दिवस समारोह और राज्यपाल के स्वागत के लिए शहर में सत्तर होर्डिंग लगाए जा सकते हैं तो क्या स्मृति चिन्ह की पट्टिका भी राज्यपाल के फोटो के साथ नहीं बनवाई जा सकती थी? यदि ऐसा होता तो यह भविष्य में भी विदित रहता कि यह सम्मान राज्यपाल द्वारा दिया गया है।
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड के मापदंडों पर भी सवाल
प्रदीप वार्ष्णेय ने लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड के मापदंडों पर भी सवाल खड़े किए। वार्ष्णेय ने कहा कि पूर्व अध्यक्षों को बारी-बारी से लाइफ टाइम अचीवमेंट देना, चाहे उनका व्यापार और उद्योग में कितना भी योगदान रहा हो, एक गलत प्रथा है। लाइफ टाइम अचीवमेंट की परिभाषा देते हुए लिखा कि अगर किसी व्यक्ति ने कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है और अपना पूरा जीवन व्यापार और उद्योग को समर्पित कर दिया है, तो वह वास्तव में इस पुरस्कार का हकदार है। यह जरूरी नहीं कि वह पूर्व अध्यक्ष ही हो।
पांच साल से पहले संविधान बदलने का सुझाव
वार्ष्णेय ने लिखा, "चूँकि मैंने चैंबर के संविधान पर हस्ताक्षर किए हैं, इसलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकता, लेकिन यह सच है कि इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। कुछ लोगों का तर्क है कि इसे पाँच साल से पहले नहीं बदला जा सकता, यह पूरी तरह से गैरकानूनी है, क्योंकि यह धारा स्वयं सोसायटी पंजीकरण अधिनियम का उल्लंघन करती है।"
वैक्सीन मामले में वाह-वाही
का मुद्दा हो रहा वायरल
स्थापना दिवस के अगले दिन सोशल मीडिया पर दावा किया गया कि राज्यपाल के समक्ष दस बच्चियों को लगाई गई वैक्सीन रोटरी क्लब द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराई गई थीं। इस मामले में औरों को श्रेय दिए जाने पर नाराजगी भी जताई गई।
हर बार पूर्व अध्यक्ष ही क्यों
इसके अलावा चैंबर के ही एक पूर्व अध्यक्ष ने सवाल उठाए कि कभी पचास साल पूरे होने पर या कभी साठ साल पूरे होने पर हर बार पूर्व अध्यक्षों का ही सम्मान क्यों किया जाता है। उन्होंने जानना चाहा कि क्या शहर में ऐसा कोई उद्यमी नहीं है, जो पूर्व अध्यक्ष न हो और उसकी सेवाएं उल्लेखनीय रही हों। उन्होंने दावा किया कि यदि प्रयास किए जाएं तो ऐसे चेहरे मिल सकते हैं जो लाइमलाइट में आए बिना उद्योग, व्यापार और समाज का बड़ा हित करते रहते हैं।
नहीं आए अधिकांश जनप्रतिनिधि
एक अन्य पूर्व अध्यक्ष ने स्थापना दिवस में प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय, विधायक चौधरी बाबूलाल, विधायक डॉ धर्मपाल सिंह, विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल, विधान परिषद सदस्य विजय शिवहरे आदि की भी गैरमौजूदगी की चर्चा की। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि तीनों सांसदों की तरह इनमें से कुछ की निजी व्यस्तता रही हो, लेकिन योगेंद्र उपाध्याय तो राज्यपाल के अन्य सभी कार्यक्रमों में मौजूद रहे, चौधरी बाबूलाल भी राज्यपाल के दूसरे कार्यक्रम में मौजूद रहे थे। तो फिर क्या कारण रहे कि इन्होंने चैम्बर के कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी।
क्या कहते हैं चैंबर अध्यक्ष
इस बारे में चैंबर अध्यक्ष संजय गोयल ने सिलसिलेवार जवाब दिए। उन्होंने कहा कि पहले वर्ष 1949 या उससे पहले जन्मे पूर्व अध्यक्षों के सम्मान का निर्णय लिया गया था। लेकिन बाद में आयोजन समिति ने वर्ष 1950 को आधार बनाकर नाम तय किए।
पूर्व अध्यक्षों के सम्मान और लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड के बारे में संजय गोयल ने कहा कि वे चैंबर के संविधान और परिपाटी के अनुसार चल रहे हैं। यदि कोई असहमति है तो संविधान में बदलाव किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड मिलने के बाद व्यक्ति को संरक्षक की भूमिका में आ जाना चाहिए और कोई पद नहीं लेना चाहिए या चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है।
वैक्सीन मुद्दे पर उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने पहले से केवल बच्चों के लिए पुस्तकें वितरित करने कहा था, जिसका इंतजाम चैंबर ने किया भी। राजभवन के अधिकारी द्वारा समारोह से एक दिन पहले रात्रि में दस बच्चियों को वैक्सीन लगवाने के लिए भी कहा गया। इतने कम अंतराल में वैक्सीन के साथ ही दस बच्चियों को बुलाना भी चैंबर के लिए थोड़ा कठिन था। क्योंकि इसके लिए बच्चियों के अभिभावकों से भी सहमति लेनी होती है। इसलिए राजभवन के अधिकारी और चैंबर दोनों ने इसके लिए जिलाधिकारी से संपर्क किया, जिलाधिकारी ने चिकित्सा विभाग को सक्रिय कर वैक्सीन मंगाई और बच्चियों को बुलवाया। गोयल ने कहा कि उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि वैक्सीन रोटरी क्लब द्वारा उपलब्ध कराई गई। जिलाधिकारी ने आकांक्षा समिति के लिए कुछ सीटें रिजर्व कराने के लिए कहा था, इससे भ्रम हुआ कि शायद आकांक्षा समिति ने ये वैक्सीन उपलब्ध कराई हों। उन्होंने कहा कि सेवाभावी रोटरी क्लब को इस मुद्दे को तूल नहीं देना चाहिए। जनप्रतिनिधियों की गैर मौजूदगी पर उन्होंने कहा कि सभी को निमंत्रण भेजा गया था।
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