बच्चों में अत्यधिक उदासी या उद्दंडता बन सकती है मनोविकार || कार्यशाला में दिया बाल मन को समझने का मंत्र

आगरा, 11 जून। बच्चों की चुप्पी भी एक संदेश होती है। जब बच्चा आंख मिलाने से कतराता है, जब वो बार-बार वही गलती दोहराता है, जब वो अचानक अत्यधिक शांत या अत्यधिक आक्रामक हो जाता है, तो ये केवल अनुशासन की कमी नहीं, बल्कि एक आंतरिक संघर्ष का संकेत होता है। "बाल मनोविकारों का कैसे करें निदान” विषय पर विशेष कार्यशाला को संबोधित करते हुए ये कहा मुख्य वक्ता डॉ. चीनू अग्रवाल ने। 
विमल विहार, सिकंदरा स्थित फीलिंग माइंड्स कार्यालय में कार्यशाला का आयोजन किया गया। दो सत्रों में हुई कार्यशाला में आगरा पब्लिक स्कूल एसोसियेशन (अप्सा) के 38 स्कूलों के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने प्रतिभाग किया। 
अल्बर्ट एलिस इंस्टीट्यूट, न्यूयार्क द्वारा प्रशिक्षित बाल मनोवैज्ञानिक डॉ. चीनू अग्रवाल ने कहा कि बच्चे अक्सर अपनी तकलीफ को शब्दों में नहीं कह पाते, लेकिन उनका व्यवहार उनकी स्थिति का आईना होता है। ऐसे में माता-पिता और शिक्षक संवेदनशील संवाद और भावनात्मक समझदारी के माध्यम से बच्चों की मानसिक स्थिति को बेहतर समझ सकते हैं। बच्चों में चिड़चिड़ापन, एकाग्रता में कमी, नींद की समस्या, डर, समाज से कटाव, और पढ़ाई में रुचि की कमी जैसे लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। 
कार्यशाला में बाल मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े विषयों पर चर्चा के साथ-साथ नि:शुल्क परामर्श सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें कई अभिभावकों और शिक्षकों ने भाग लेकर विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त किया। 
कार्यशाला का शुभारंभ डॉ. सुशील गुप्ता और शेखर भरत सिंह ने किया। डॉ रविंद्र अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापन और शैलेश अग्रवाल ने संचालन किया। 
________________________________________


ख़बर शेयर करें :

Post a Comment

0 Comments