डा आंबेडकर विवि के कर्मचारी ने राष्ट्रपति और राज्यपाल को पत्र लिख मांगी परिवार सहित आत्महत्या की अनुमति

आगरा, 20 जून। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के एक कर्मचारी ने राष्ट्रपति और राज्यपाल को पत्र लिखकर परिवार सहित आत्महत्या करने की अनुमति मांगी है। कर्मचारी ने आरोप लगाए हैं कि नौकरी पर बहाल करने के लिए उससे दस लाख रुपये मांगे जा रहे हैं। वह तीन साल से नौकरी पर बहाल होने के लिए विश्वविद्यालय के चक्कर काट रहा है।
विश्वविद्यालय के तकनीकी विभाग में काम करने वाले वीरेश कुमार ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा है कि वह पिछले 24 सालों से विश्वविद्यालय में काम कर रहे हैं। वीरेश ने इतिहास विभाग में कार्यरत रहे प्रो. अनिल वर्मा और डॉ. बीडी शुक्ला पर भी आरोप लगाए हैं।
वीरेश का कहना है कि प्रो. वर्मा के खिलाफ विजिलेंस जांच चल रही है, मुकदमे दर्ज हैं। इन दोनों ने ही तीन साल पहले पहले कुलपति प्रो. अशोक मित्तल के कार्यकाल में उसे एक षडयंत्र में फंसाया। फर्जी तरीके से मार्कशीट जलाने के आरोप लगाते हुए कार्यवाही की। मुकदमा भी दर्ज कराया गया।
वीरेश का कहना है कि प्रो. मित्तल को राज्यपाल द्वारा हटाए जाने के बाद उसने नौकरी पर बहाल होने के लिए अर्जी दी। विश्वविद्यालय ने विधिक सलाह ली। विधिक राय में भी वीरेश को दोषमुक्त पाया गया। इसके बाद भी कार्यवाही नहीं हुई। कर्मचारी संघ ने भी कुलपति को पत्र लिखा था। जांच समिति की रिपोर्ट पर संदेह जाहिर करते हुए नई समिति के गठन की मांग की थी। विश्वविद्यालय ने जांच समिति का गठन किया। समिति ने रिपोर्ट दी कि वीरेश को नौकरी पर बहाल किया जा सकता है। कार्य परिषद में इस प्रकरण को रखा गया।
नवंबर, 2022 में हुई कार्य परिषद की बैठक में निर्णय लिया गया कि वीरेश विश्वविद्यालय के खिलाफ किए गए मुकदमे वापस ले ले। उसके बाद बहाली पर विचार किया जाएगा। वीरेश ने मुकदमे वापस ले लिए, लेकिन अब तक बहाली नहीं हुई है।
वीरेश का कहना है कि वह इस संबंध में कुलपति प्रो. आशु रानी से मिला। उन्होंने डिप्टी रजिस्ट्रार पवन कुमार से मिलने को कहा। वीरेश के आरोप है कि पवन कुमार ने बहाली के लिए दस लाख रुपये की मांग रखी। पवन कुमार ने कहा कि कुलपति और रजिस्ट्रार राजीव कुमार से बात हो गई है। जिस दिन रुपये दोगे, उसी दिन बहाली हो जाएगी।
वीरेश ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में प्रार्थना की है कि वह 3-4 साल से विश्वविद्यालय के चक्कर काट रहा है। जमा पूंजी खर्च हो गई है। परिवार दर-दर की ठोकरें खा रहा है। आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं है। परिवार सहित आत्महत्या की अनुमति दी जाए।
दूसरी ओर इस बारे में डिप्टी रजिस्ट्रार पवन कुमार का कहना है कि वीरेश के आरोप बेबुनियाद हैं। वीरेश की मुझसे मुलाकात ही नहीं हुई। पवन कुमार का कहना है कि वह पिछले कई दिनों से बीमारी के कारण विश्वविद्यालय ही नहीं गये हैं। आरोप निराधार हैं।
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