व्यापारियों की हित रक्षा को फेम पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

आगरा, 16 अप्रैल। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल (फेम) ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए मांग की है कि देश के एम एस एम ई में रजिस्टर्ड सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को धारा 43 बी एच के तहत खरीद भुगतान के लिये बाध्य न किया जाए। ऐसा करने से उद्योग जगत की अपनी आर्थिक भुगतान की समय पालना स्थिति को लेकर नया संकट पैदा हो जाएगा।
केंद्र सरकार ने विगत एक अप्रैल से 45 दिनों के अंदर व्यापारिक खरीद के भुगतान की समय सीमा निश्चित कर दी है, ऐसा न होने की स्थिति में भुगतान को उस फर्म की आय मान लिया जाएगा।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह सोबती ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस कानून से न तो व्यापारी को कोई और न उद्यमी को कोई लाभ है, बल्कि सिर्फ सरकार टैक्स लेकर अपने खजाने को अनैतिक रूप से भरना चाहती है। उन्होंने कहा कि परंपरागत रूप से चले आ रहे व्यापार में जहां कुछ क्षेत्रों में 180 दिन का उधार चल रहा था।उसमें भी इस कानून से व्यवधान आ रहा है। व्यापारी भी एमएसएमई को अपने आर्डर नहीं दे रहा है।
सोबती ने बताया कि इस व्यापारी विरोधी कानून के लिए केंद्र सरकार को पूरे देश से लगभग पांच ज्ञापन दिए जा चुके थे। लेकिन सरकार ने इस पर कोई राहत प्रदान नहीं की। उनके व्यापारिक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयेंद्र वी तन्ना एवं महामंत्री आर के गौड़ ने राष्ट्रीय स्तर की ऑन लाइन बैठक कर व्यापारियों के हित संरक्षण के लिए इस प्रकरण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय जाने का निर्णय लिया।
जिलाध्यक्ष राजेश खुराना एवं महामंत्री ब्रजेश पंडित ने व्यापार जगत को भरोसा दिलाया कि फेम अपने व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेगा।
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