पुष्प वाटिका में राम को देख गौरा से उन्हें वर के रूप में मांगा सीता ने
मैदान पर जानकी मां अम्बिका के मन्दिर में पूजा करती हैं तथा पूजा करते समय मां अम्बिका से भगवान श्री राम को अपने पति के रूप में मांगती हैं मा अम्बिका पूजा से प्रसन्न होती हैं, प्रसन्न होकर मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम को उनके पति के रूप में देने का वरदान देती हैं।
लीला के प्रारंभ में दिखाया गया कि भगवान श्रीराम व लक्ष्मण मुनि विश्वामित्र के साथ यज्ञ पूर्ण करके जनकपुरी जाते है। जनकपुरी के मार्ग में एक शिला मिलती है। शिला को देखकर भगवान राम विश्वामित्र जी की आज्ञा से उस शिला पर अपने चरण रज प्रदान करते हैं। चरण रज से गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या जी का उद्धार हो जाता है।
धनुष यज्ञ एवं परशुराम संवाद
रामलीला में 08 अक्टूबर को सायं 5 बजे लाला चन्नोमल की बारहदरी से सीता स्वयंवर के लिये सवारी निकाली जायेगी जिसमें देश विदेश के विभिन्न राजा सवारियों में होंगे तथा रामलीला मैदान आगरा पर सायं 7.30 बजे धनुष यज्ञ एवं परशुराम संवाद की लीला स्वामी नीरज चतुर्वेदी के निर्देशन में की जायेगी।
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