उपलब्धि: आगरा के लैदर फुटवियर को मिला जीआई टैग
आगरा। भौगोलिक संकेत (जीआई) के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश ने एक बार फिर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। आगरा के लैदर फुटवियर और जलेसर मेटल क्राफ्ट सहित प्रदेश के दो शिल्प बौद्धिक सम्पदा अधिकार में शामिल हुए हैं। अब प्रदेश के कुल 54 उत्पाद जीआई में दर्ज हो गए।
आगरा फुटवियर मैन्युफेक्चरर्स एंड एक्सपोर्ट चैंबर (एफमेक) की विज्ञप्ति के अनुसार, जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. रजनीकान्त ने बताया कि नाबार्ड एवं राज्य सरकार के सहयोग से प्रदेश के दो हैण्डीक्राफ्ट जिसमें आगरा लैदर फुटवियर (जीआई पंजीकरण संख्या-721) तथा जलेसर मेटल क्राफ्ट (जीआई पंजीकरण संख्या-722) उत्पादों को जीआई टैग प्राप्त हुआ।
एफमेक के अध्यक्ष पूरन डावर ने बताया कि संस्था की टीम इसके लिए पिछले तीन साल से मेहनत कर रही थी। इसमें जूते के इतिहास को संकलित करने से लेकर चमड़ा शोधन का इतिहास, फुटवियर की प्रचीनतम निर्माण पद्धतियों से लेकर आधुनिक निर्माण विधियों का विश्लेषण किया गया। एफमेक के प्रदीप वासन, राजीव वासन, रूबी सहगल, गोपाल गुप्ता, ललित अरोड़ा, कैप्टन अजित सिंह राणा, चंद्रशेखर जीपीआई की अहम् भूमिका रही। शू डिज़ाइनर देवकी नंदन सोन ने आगरा के जूते का कई पीढ़ियों का इतिहास संकलित किया। शिल्पियों के रूप में महेश कुमार, देवकी प्रसाद आज़ाद और स्व. भरत सिंह पिप्पल का इसमें सहयोग रहा। इससे जिले के शिल्पी, ट्रेडर्स, मैन्यूफैक्चरर्स, निर्यातक लाभान्वित होंगे।
जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. रजनीकान्त द्विवेदी का कहना है कि अब आगरा के लैदर फुटवियर के नाम पर चमड़े के जूतों को जनपद से बाहर कहीं भी नहीं बनाया जा सकेगा, और न ही जीआई टैग के साथ बेचा जा सकेगा। यह कानूनी अधिकार सिर्फ आगरा के जूता निर्माताओं और शिल्पियों को ही प्राप्त होगा।
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