नेशनल चैंबर के पूर्व अध्यक्ष खटखटाएंगे अदालत का दरवाजा!
आगरा, 14 अगस्त। नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स के स्थापना दिवस पर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड का मामला विवादों में घिर गया है। इस मामले में स्वयं को आहत महसूस कर रहे एक पूर्व अध्यक्ष ने अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर ली है। उनका कहना है कि शुरुआती तौर पर वे नोटिस भिजवा रहे हैं। दूसरी ओर कुछेक पूर्व अध्यक्षों का मानना है कि चैंबर ने इस मामले में कुछ गलत न करके अपने एक गैर परंपरागत कदम को वापस ही लिया।
बता दें कि चैंबर के स्थापना दिवस पर पूर्व अध्यक्षों को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड देने की परंपरा रही है। यह लिखित में तय किया जा चुका है कि यह अवार्ड एक साल में अधिकतम दो पूर्व अध्यक्षों को ही दिया जा सकता है। हालांकि कई वरिष्ठों की राय रही कि यह सम्मान एक-एक करके ही दिया जाए।
इस साल चैंबर ने कुछ दिन पहले पूर्व अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल को सूचना दी कि उन्हें इस बार लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। सम्मान समारोह से दो दिन पहले पूर्व अध्यक्ष राजीव तिवारी को भी सूचना दी गई कि उन्हें भी इस साल यही अवार्ड दिया जायेगा। मुकेश अग्रवाल को जब यह पता चला तो उन्होंने आपत्ति करते हुए कहा कि उन्हें केवल एक व्यक्ति (मुकेश अग्रवाल) के सम्मान की सूचना दी गई थी। चैंबर को यदि इस निर्णय में कोई बदलाव करना था तो उन्हें भरोसे में लिया जाना चाहिए था। उन्होंने अध्यक्ष को अपनी लिखित आपत्ति भेजकर स्वयं को इस अवॉर्ड से अलग कर लेने की बात कह दी।
उनके इस कदम से चैंबर पदाधिकारियों में हड़कंप मच गया और कई वरिष्ठ सदस्य उनका मान-मनौव्वल करने पहुंच गए। मुकेश अग्रवाल ने कहा कि उन्हें राजीव तिवारी से नहीं, चैंबर के तरीके पर आपत्ति है। काफी मान-मनौव्वल के बाद उन्होंने अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने का आश्वासन दिया, लेकिन तुरंत स्पष्ट सहमति नहीं दी।
इधर कुछ लोगों ने यह मामला चैंबर कोर कमेटी के चेयरमैन प्रदीप वार्ष्णेय के संज्ञान में डाला तो उन्होंने कहा कि अधिकतम दो लोगों का सम्मान तो किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए वरिष्ठता क्रम नहीं टूटना चाहिए। वरिष्ठता क्रम में राजीव तिवारी से पहले अन्य अध्यक्ष भी हैं।
यह विषय ही बड़ी बहस का मुद्दा बन गया। पूर्व अध्यक्षों के व्हाट्स ऐप ग्रुप में टीका-टिप्पणी की गईं। बहस इतनी बढ़ी कि एक-दूसरे को चुनौतियां दी जाने लगीं। राजीव तिवारी ने कोर कमेटी के चेयरमैन प्रदीप वार्ष्णेय को अवमानना का केस दाखिल करने की धमकी दे दी। वार्ष्णेय ने भी लिख दिया कि वे कोर कमेटी चेयरमैन के रूप में बात लिख रहे हैं, अतः पूरे मामले की जांच जरूरी है और किसी भी मुकदमे के खर्चे को वहन करने के लिए चैंबर तैयार रहे।
कहां से शुरू हुआ विवाद
बताया जाता है कि पूर्व अध्यक्ष राजीव तिवारी ने सम्मान समारोह से दो दिन पहले 11 अगस्त को चैंबर को पत्र भेजा था कि बढ़ती आयु के कारण वह अपना व्यापार बंद कर रहे हैं, इसलिए उन्हें चैंबर की सदस्यता से मुक्त किया जाए। लेकिन इसके कुछ घंटे बाद ही चैंबर ने उन्हें ई मेल भेजा कि व्यापार जगत और चैंबर के प्रति सेवाओं को देखते हुए उनकी सदस्यता खत्म करने का निर्णय नहीं लिया जाएगा और उन्हें इस साल का लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी दिया जायेगा।
क्यों लिया गया निर्णय वापस
दो दिन तक चले तर्क-वितर्कों के बाद चैंबर अध्यक्ष राजेश गोयल ने स्थापना दिवस से कुछ घण्टे पहले राजीव तिवारी को ई मेल भेजा कि आपके द्वारा व्यापार बंद करने की जानकारी देने पर आपको लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड देने का निर्णय लिया गया था, लेकिन आपके द्वारा अब व्यापार जारी रखने की बात कही गई है, अतः आपको अवॉर्ड देने का निर्णय वापस लिया जाता है।
क्या कहते हैं राजीव तिवारी
इस बारे में राजीव तिवारी का कहना है कि चैंबर का निर्णय हास्यास्पद है। जब पहले पत्र में उन्होंने लिखा कि व्यापार जगत और चैंबर की सेवाओं को देखते हुए यह अवार्ड दिया जायेगा तो फिर दूसरे पत्र में व्यापार जारी रखने या बंद करने का मुद्दा कहां से आ गया। तिवारी ने स्वीकार किया कि उन्होंने व्यापार बंद करने का मन बनाया था लेकिन कुछ साथियों के समझाने पर व्हाट्स ऐप ग्रुप में उन्होंने व्यापार जारी रखने की जानकारी साझा की।
अध्यक्ष बोले, चैंबर इस विवाद से दूर
अध्यक्ष राजेश गोयल ने इस पूरे प्रकरण पर कहा कि चैंबर ने मापदंडों के अनुरूप निर्णय लिया। इसे लेकर कुछ पूर्व अध्यक्षों के आपसी विवाद हो सकते हैं, लेकिन चैंबर इस विवाद से दूर है और इस बारे में वे अधिक कुछ नहीं कहना चाहते।
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