नेशनल चैंबर ने प्रधान आयकर आयुक्त के समक्ष पहले ही उठाया था मामला
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- आयकर अधिनियम 1961 की धारा 263 के तहत करीब दो सौ मामले लम्बित
आगरा, 18 अगस्त। उच्च न्यायालय द्वारा आगरा के तत्कालीन प्रधान आयकर आयुक्त के खिलाफ दिए आदेश के बाद पता चला है कि पिछले कर निर्धारण आदेश को रद्द करते समय और नई कार्रवाई शुरू करते समय आयकर अधिनियम 1961 की धारा 263 के तहत प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किये जाने के करीब दो सौ मामले हैं। इनमें से कुछ अन्य लोग भी न्यायालय की शरण में हैं।
वरिष्ठ आयकर अधिवक्ता और नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स के आयकर प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अनिल वर्मा ने एक बातचीत में बताया कि ऐसे मामलों को लेकर उनके नेतृत्व में चैंबर का एक प्रतिनिधिमंडल विगत मार्च माह में प्रधान आयकर आयुक्त जयंत मिश्रा से उनके कार्यालय में मिला था और उनसे करदाताओं को राहत दिए जाने की मांग की थी। मिश्रा ने उस समय अवधि बढ़ाने और निष्पक्षता से कार्रवाई का भरोसा दिया था।
प्रतिनिधिमंडल ने प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त जयंत मिश्रा से नोटिसों के कारण उद्यमियों को हो रही परेशानी बताते हुए करदाता को अपना पक्ष रखने के लिए समय अवधि बढ़ाने की मांग की थी। जयंत मिश्रा ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि जो जवाब करदाता की ओर से प्राप्त होगा, उसे संज्ञान लिया जाएगा। उनके ज्ञापन को सीबीडीटी तक पहुंचा दिया जाएगा और समय बढ़ाने की मांग करेंगे। प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं किया जायेगा। प्रतिनिधिमंडल में नेशनल चैंबर के पूर्व अध्यक्ष सीताराम अग्रवाल, गोपाल खंडेलवाल, टैक्सेशन बार एसो. के अध्यक्ष राकेश गुप्ता, दीपक माहेश्वरी, अनुराग सिन्हा, पंकज गर्ग, सीए प्रार्थना जालान, राज किशोर खंडेलवाल आदि मौजूद थे।
हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद आयकर अधिवक्ता अनिल वर्मा ने कहा कि अकेले आगरा में आयकर अधिनियम 1961 की धारा 263 के तहत प्रभावित करीब दो सौ मामले हैं, जिन्हें अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। अदालत के फैसले से उन सभी मामलों में राहत मिलने की उम्मीद जग गई है।
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