नेशनल चैंबर का लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड विवाद और भड़का
- कोर कमेटी के अध्यक्ष ने दी चैंबर अध्यक्ष को संविधान गहराई से पढ़ने को सलाह
आगरा, 17 अगस्त। नेशनल चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड को लेकर उठा विवाद शांत नहीं हो सका है। नाराज कोर कमेटी के चेयरमैन ने चैंबर को कुछ लोगों की स्वामित्व वाली फर्म की तरह चलाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि चैंबर अपने मूल उद्देश्यों से भटक रहा है। उन्होंने चैंबर पर सहयोग न करने का आरोप लगाते हुए अध्यक्ष को संविधान के गहराई से अध्ययन की भी सलाह दी है।
बता दें कि चैंबर के स्थापना दिवस पर विगत 13 अगस्त को दिए जाने वाले लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड को लेकर विवाद हो गया था। दो दिन बाद पंद्रह अगस्त को लगा कि यह विवाद समाप्ति की ओर है, लेकिन इसने एक बार फिर चिंगारी पकड़ ली है। दरअसल कोर कमेटी के चेयरमैन प्रदीप वार्ष्णेय को इस प्रकरण में पूर्व अध्यक्ष राजीव तिवारी द्वारा अवमानना की चेतावनी दी जाना और चैंबर अध्यक्ष राजेश गोयल द्वारा पूरे प्रकरण से स्वयं को अलग कर लेना आहत कर गया।
प्रदीप वार्ष्णेय ने विगत दिवस चैंबर कार्यालय से राजीव तिवारी की व्यापारिक स्थिति की जानकारी मांगी तो कार्यालय ने इसमें असमर्थता जता दी। चैम्बर अध्यक्ष ने भी उन पर मामले को बढ़ाने का आरोप लगाया। इससे नाराज वार्ष्णेय ने राजीव तिवारी संबंधी जानकारियों के लिए चैंबर कार्यालय को लिखित पत्र भेज कर 'पत्र-प्राप्ति-सूचना' मंगा ली।
मामले को बढ़ता देख चैंबर अध्यक्ष ने आज गुरुवार की शाम पूर्व अध्यक्षों की आपात बैठक चैंबर कार्यालय में बुलाने का प्रस्ताव भेजा, लेकिन वार्ष्णेय ने इसके औचित्य पर सवाल उठा दिये। उन्होंने कहा कि जब पूर्व अध्यक्षों की बैठक 26 अगस्त को पहले से निर्धारित है तो अर्जेंट बैठक किसलिए? उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व अध्यक्षों की बैठक कभी चैंबर कार्यालय में नहीं होती है। पूर्व अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल ने भी आपात बैठक पर सवाल लगाते हुए उसका एजेंडा पूछ लिया। सवाल उठने पर अध्यक्ष गोयल ने पूर्व अध्यक्षों की बैठक बुलाने का निर्णय स्थगित कर दिया।
पूरे प्रकरण से आहत प्रदीप वार्ष्णेय ने पूर्व अध्यक्षों के व्हाट्स ऐप ग्रुप में अपनी पीड़ा व्यक्त की। अपने ताजा संदेश में उन्होंने लिखा- "श्री तिवारी को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिये जाने की बात को वर्तमान अध्यक्ष श्री राजेश गोयल ने हम तीनों मैं, मुकेश अग्रवाल और श्री राजीव तिवारी के बीच मतभेद बताया है। यह पूरी तरह से गलत और झूठ है। आख़िरकार अंतिम समय में उनके द्वारा एक प्रतिबद्धता की गई थी। स्थापना दिवस से 48 घंटे पहले अध्यक्ष ने उन्हें ईमेल भेजा। पुनः उनके द्वारा ही निर्णय वापस लिए जाने का ई-मेल भेजा गया। मैं इसमें कोई पक्षकार नहीं था। इस प्रकरण से मेरी भावनाएँ बहुत आहत हुई हैं, विशेष रूप से मानहानि की धमकी से। मैं पूरी तरह से जानता हूँ कि श्री तिवारी के सभी रिश्तेदार न्यायाधीश और वकील हैं और इसलिए मेरे लिए एकमात्र उपाय यह है कि मैं उनसे माफी मांगूँ। कल मैंने चैंबर से कुछ दस्तावेजों की मांग की थी और मुझे इस तरह से मना कर दिया गया जैसे कि अध्यक्ष कोर कमेटी को काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और चैंबर कुछ लोगों की स्वामित्व वाली फर्म बन गई है। इसलिए सबसे अच्छा उपाय यह है कि मैं पीपी बैठक में भाग लेने से बचूंगा। जब चैंबर व्यापार और उद्योग से ज्यादा सामाजिक हित के लिए काम करना जारी रखेगा तो बातचीत करने का क्या मतलब है। हम खुद को चैंबर के लक्ष्य और उद्देश्यों से भटका रहे हैं। यह बेहतर है कि अध्यक्ष को नए उद्यम शुरू करने से पहले चैंबर के वर्तमान संविधान का गहराई से अध्ययन करना चाहिए......, यह सभी पूर्व अध्यक्षों का कर्तव्य है कि वे इस पर गहराई से विचार करें कि हम सही रास्ते पर जा रहे हैं या नहीं। मुखर होने के लिए क्षमा करें।"
चैंबर के स्थापना दिवस समारोह से दो दिन पहले पूर्व अध्यक्ष राजीव तिवारी ने अपने इस्तीफे की सूचना चैंबर को भेजी थी, इसके कुछ देर बाद चैंबर ने उन्हें ई मेल भेजकर इस्तीफा स्वीकार नहीं करने और स्थापना दिवस पर उन्हें भी लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिए जाने की सूचना भेज दी थी। लेकिन इस नए निर्णय पर पूर्व अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल ने आपत्ति की और स्वयं इस अवॉर्ड से अलग होने का संदेश भेज दिया। मुकेश अग्रवाल की आपत्ति थी कि जब आरंभ में उन्हें अकेले को ही यह अवार्ड दिए जाने की सूचना दी गई थी तो एक और अवॉर्डी को जोड़े जाते समय उन्हें भरोसे में क्यों नहीं लिया गया। इस आपत्ति पर जब कोर कमेटी के अध्यक्ष प्रदीप वार्ष्णेय से राय मांगी गई तो उन्होंने भी कह दिया कि चैंबर में बिना बारी के यह अवार्ड देने का प्रचलन नहीं है। राजीव तिवारी से पहले अभी अन्य पूर्व अध्यक्ष उस क्रम में आते हैं। इसे लेकर राजीव तिवारी नाराज हो गए और उन्होंने वार्ष्णेय को मानहानि न करने की चेतावनी दे दी। विवाद बढ़ता देख स्थापना दिवस से महज कुछ घंटे पहले चैंबर अध्यक्ष ने राजीव तिवारी को अवार्ड न दिए जाने की सूचना भेज दी। इससे नाराज राजीव तिवारी ने अवमानना याचिका दायर करने का निर्णय ले लिया और विधि विशेषज्ञों से सलाह शुरू कर दी। चैंबर अध्यक्ष ने विवाद से यह कहकर खुद को अलग कर लिया था कि यह दो-तीन पूर्व अध्यक्षों का मामला है।
उनके इस कथन से नाखुश कोर कमेटी के अध्यक्ष प्रदीप वार्ष्णेय ने कहा कि उन्होंने चैंबर अध्यक्ष के पूछने पर ही नियम का हवाला दिया था, अब अध्यक्ष ही दूर हट रहे हैं तो वे भी राजीव तिवारी के प्रति खेद व्यक्त करते हुए अपने को मामले से अलग करते हैं। इसके बाद स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में सभी गर्मजोशी से मिले और राजीव तिवारी को दीपावली पर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड देने का पुनः वायदा कर दिया गया। कुछ पूर्व अध्यक्षों ने इस वायदे पर भी सवाल उठाए और कहा कि बिना कार्यकारिणी में पारित कराए पुनः वायदा कितना उचित है।
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