भारी उत्सुकता: आगरा को क्या मिलेगा?

भाजपा मन्त्रिमण्डल के गठन में कहीं पहले जैसी भूल तो नहीं करेगी?
आगरा, 12 मार्च। प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक बार फिर बहुमत पाने वाली भाजपा इस बार मन्त्रिमण्डल में आगरा को कितना प्रतिनिधित्व देगी, यह सभी के लिये उत्सुकता का विषय बना हुआ है। आम जनता के बीच ही नहीं, बल्कि समाचार पत्रों में भी कयासों का दौर शुरू हो गया है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि भाजपा कहीं वर्ष 2017 वाली गलती तो नहीं करेगी?
गौरतलब है कि पिछले चुनावों में भी जिले से सभी नौ सीटें जीतने के बाद मन्त्रिमण्डल के गठन में आगरा के किसी विधायक को शामिल नहीं किया गया था। इससे भाजपा की जनता के बीच किरकिरी होना शुरू हो गई थी। इसके बाद हुए मन्त्रिमण्डल विस्तारों में यहां से डॉ जीएस धर्मेश और उदयभान सिंह को राज्य मंत्री बनाया गया। बाद में एमएलसी धर्मवीर प्रजापति को भी जिम्मेदारी मिली। लेकिन कैबिनेट मंत्री का दर्जा किसी को नहीं मिल सका।
इस बार के चुनाव में फिर से जनता ने सभी नौ सीटों को भाजपा की झोली में डाला है। इससे पार्टी पर इसबार मन्त्रिमण्डल के शुरुआती गठन में ही आगरा को महत्व देने का दबाव है। आगरा से कुछ नेताओं की वरिष्ठता को भी पार्टी को ध्यान में रखना होगा। इनमें लगातार तीसरी बार जीत कर हैट्रिक बनाने वाले योगेन्द्र उपाध्याय, पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व राज्यपाल बेबीरानी मौर्य को मजबूत दावेदार माना जा रहा है। योगेन्द्र उपाध्याय विधानसभा में मुख्य सचेतक रह चुके हैं। वैसे तीसरी बार विधानसभा में पहुंचे डॉ धर्मपाल सिंह व चौधरी बाबूलाल, रिकार्ड मतों से दूसरी जीत दर्ज करने वाले पुरुषोत्तम खण्डेलवाल और राज्य मंत्री डॉ जीएस धर्मेश का दावा भी कमजोर नहीं माना जा सकता।
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी अपने पद से औपचारिक इस्तीफा दे चुके हैं और नई सरकार के नेता के रूप में होली के त्योहार के बाद उनके शपथ लेने की सम्भावना है। नवनिर्वाचित विधायकों का एक ओर जहां निरन्तर स्वागत समारोह चल रहा है वहीं, पार्टी नेतृत्व के बीच नये मन्त्रिमण्डल के आकार को लेकर विचार-विमर्श शुरू हो चुका है। अब देखना यही है कि इस मन्त्रिमण्डल में आगरा के विधायकों को कितना महत्व मिल पायेगा।







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