आगरा में उफनाई यमुना के घाटों की सीढ़ियां डूबी, बेरिकेडिंग कराई गई, जल स्तर गिरने की उम्मीद, पर एहतियातन बाढ़ चौकियां स्थापित
आगरा, 12 अगस्त। जिले में यमुना नदी का जलस्तर सोमवार की रात खतरे के निशान के और नजदीक पहुंच गया। हालांकि मंगलवार की सुबह जलस्तर में दो इंच की गिरावट आई। जिला प्रशासन ने एहतियातन कैलाश, अमर विहार पुलिस चौकी, पोड्या घाट, बल्केश्वर, आगरा फोर्ट, करमना, तनौरानूरपुर, समोगर और अकोला में बाढ़ चौकियां स्थापित कर दीं। घाटों पर बैरिकेडिंग कर दी गई।
बढ़े जलस्तर के कारण बल्केश्वर के पार्वती घाट पर स्थित काली भैरों मंदिर में पानी भर गया। यमुना किनारे के चार घाटों की सीढ़ियां पानी में समा गईं। फाउंड्री नगर के निचले इलाकों में यमुना का पानी घुसने की खबर है।
सोमवार रात वाटर वर्क्स पर यमुना नदी का जलस्तर 494.2 फीट पर पहुंच गया था, जो बाढ़ के चेतावनी स्तर से महज दस इंच नीचे था। खतरे का निशान 495 से 499 फीट तक है। मंगलवार को जलस्तर में दो इंच की गिरावट देखी गई। सिंचाई विभाग के सूत्रों का कहना है कि यदि और बारिश नहीं हुई तो जलस्तर गिरना जारी रहेगा। बाढ़ नियंत्रण प्रभारी एवं एडीएम वित्त शुभांगी शुक्ला का कहना है कि बाढ़ का खतरा नहीं है। फिर भी आकस्मिक स्थिति में बचाव व राहत के लिए टीमें तैयार हैं। बारिश का सिलसिला जारी रहा, तो बैराजों से डिस्चार्ज बढ़ सकता है और यमुना के जलस्तर में वृद्धि हो सकती है।
गौरतलब है कि पिछले एक सप्ताह से यमुना नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। ताजेवाला, ओखला और गोकुल बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण आगरा में यमुना लबालब हो गई। सोमवार को यमुना का पानी किनारों से बाहर निकल कर जिले के कई गांवों में खेतों में घुस गया। सिकंदरा के निकट स्थित प्रमुख कैलाश मंदिर घाट की सीढ़ियां डूब गईं। लोगों को घाट पर नदी की तरफ जाने से रोकने के लिए बेरिकेडिंग कर दी गई है। दयालबाग के पोइया घाट के किनारे तक पानी पहुंच गया। बल्केश्वर का पार्वती घाट और यहां स्थित काली भैरों मंदिर का प्लेटफार्म पूरी तरह डूब गया। मंदिर की रेलिंग भी आधी डूब गई। हाथीघाट की सीढ़ियां भी डूब चुकी हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ के खतरे से निपटने की तैयारियां जारी हैं। एसडीएम, तहसीलदार और सिंचाई विभाग के अधिकारी गांवों का दौरा कर व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे हैं। यमुना किनारे स्थित हाथी घाट, बल्केश्वर और दशहरा घाट पर कर्मचारियों की तैनाती कर नजर रखी जा रही है। यमुना का जलस्तर बढ़ने पर नालों के बैक होने की समस्या से बचने के लिए सैंड बैग तैयार किए गए हैं। लोगों को नदी क्षेत्र में न जाने के लिए सतर्क किया गया है।
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