आगरा के स्टोन कार्विंग को भी जीआई टैग दिलायेंगे - डॉ राउत || स्टोन इनले वर्क में जीआई टैग मिलने पर हुआ समारोह

आगरा, 28 जून। केंद्रीय टैक्सटाइल मंत्रालय की टैक्सटाइल कमेटी के निदेशक डा. तपन कुमार राउत ने शनिवार को यहां स्टोन इन्ले वर्क के जी आई टैग के फायदे के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि आगरा के स्टोन कार्विंग को भी जीआई टैग दिलाने में उनका सहयोग रहेगा।
डा राउत होटल क्लार्क्स शिराज में हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसियेशन आगरा द्वारा स्टोन इनले वर्क में जीआई टैग मिलने पर आयोजित समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जी आई टैग का पार्ट ए आवंटित हुआ है और अब इसका पार्ट बी की प्रक्रिया चालू हो रही है जिसके उपरान्त संस्था अपने सदस्यों को इस जी आई टैग का प्रयोग करने के लिये कह सकेगी। 
समारोह के विशिष्ट अतिथि हस्तशिल्प निर्यात संर्वधन परिषद के चेयरमैन नीरज खन्ना ने बताया कि ईपीसीएच ने विजन 2025 से 2035 के तहत भारतीय हस्तशिल्प को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में कदम तेज कर दिये हैं। इस कम में अवधेश अग्रवाल को ईपीसीएच का इंडिया का मुख्य संयोजक बनाया गया है। जो कि अब पूरे देश में निर्यात संर्वधनों का समन्वय करेंगे। 
विशिष्ट अतिथि आर के वर्मा ने कि ईपीसीएच की तरफ से भरोसा दिलाया कि वे हस्तशिल्प निर्यातकों को निर्यात के क्षेत्र में हर संभव मदद दिलाने में उनकी सहायता करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि कि ईपीसीएच भारतीय हस्तशिल्प निर्यात को एक नई उँचाई तक ले जाने में 3 गुना 30 तक की सोच के साथ आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है। उनके अनुसार कि ईपीसीएच में नये निर्यातकों के लिये एक ऑन लाइन एक्सपोर्ट मैनेजमेन्ट कोर्स भी चलाया जाता है। 
संस्था के अध्यक्ष रजत अस्थाना ने संस्था और हैंडीक्राफ्ट निर्यात प्रोत्साहन परिषद की गतिविधियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि एसोसिऐशन के माध्यम से आगरा के स्टोन और मार्बल हैंडीक्राफ्ट को उ.प्र. सरकार की ओडीओपी योजना में रजिस्ट्रेशन करा गया है,  जिसका फायदा संम्बंधित उद्यमि व निर्यातक ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि हैंडीक्राफ्ट निर्यात प्रोत्साहन परिषद की स्थापना वर्ष 1986-87 में हुई थी और उस वक्त भारत से हस्तशिल्प का निर्यात कम था एवं इसके सदस्यों की संख्या मात्र 35 थी। वर्ष 2024-25 तक इसके सदस्यों की संख्या करीब 8500 और भारत से हस्तशिल्प का निर्यात करीब 33123 करोड़ रुपए पहुँच चुका है। उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक हालात के कारण हैंडीक्राफ्ट उद्योग संघर्ष के दौर से गुजर रहा है, इसके लिए सरकार की तरफ से कदम उठाने की जरूरत है।
एसोसिऐशन के सचिव डा एस के त्यागी ने स्वागत भाषण में कहा कि हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट एसोसिऐशन आगरा रूपी जो बीजारोपण वर्ष 2009 में हुआ था उसने आज एक वृहद वृक्ष का रूप धारण कर लिया है। इस सफर के दौरान हमारी संस्था द्वारा आगरा व आस पास के क्षेत्रों के निर्यातकों एवं निर्यात की इच्छा रखने वाले व्यवसाइयों को सभी प्रकार की सूचनाएं व सहयोग प्रदान किया गया है। 
हस्तशिल्प निर्यात संर्वधन परिषद के संयोजक अवधेश अग्रवाल ने वर्ष 2025 से 2035 के निर्यात विजन के तहत ईपीसीएच की भूमिका को बड़ा बताया। इस अवसर पर टूरिस्ट वैलफेयर चैंबर के अध्यक्ष प्रहलाद अग्रवाल, एमएसएमई विभाग के सहायक निदेशक सुशील यादव, नेशनल चैंबर के अध्यक्ष संजय गोयल एवं अन्य ने भी हस्तशिल्प को लेकर अपने विचार साझा किये। 
समारोह में "आगरा स्टोन इन्ले वर्क" के विभिन्न पुरुस्कार प्राप्त हस्तशिल्पियों एवं शिल्पगुरु इकबाल अहमद व रफीकउद्दीन का सम्मान किया गया।  हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसियेशन के सचिव डॉ एस के त्यागी का भी ईपीसीएच की ओर से अभिनंदन किया गया।
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