गांधीगिरी करके शाही हम्माम को बचाने की कोशिश
आगरा, 25 दिसम्बर। छीपीटोला स्थित सोलहवीं सदी के शाही हम्माम को लोगों के कब्जे से बचाने को बुधवार को पर्यटन से जुड़ी संस्थाओं के प्रतिनिधि पहुंचे। उन्होंने यहां मोमबत्ती जलाई, फूल चढ़ाए और हम्माम को श्रद्धांजलि देते हुए अलविदा कहा। संदेश दिया कि प्रशासन इस विरासत को बचाये।
इस दौरान रकाबगंज थाने की पुलिस भी पहुंच गई और इन लोगों को रोकने का प्रयास किया, लेकिन पर्यटन से जुड़े प्रतिनिधियों ने पत्र दिखाया कि इस आयोजन की उन्होंने प्रशासन को पूर्व में ही सूचना दे दी थी।
यह मुगलकालीन हम्माम लाखौरी ईंटों और लाल बलुई पत्थरों का बना है। इतिहासकारों के अनुसार यह हम्माम मुगल दरबार में रहे अलीवर्दी खान ने बनवाया था। मुगल काल में दूसरे देशों या राज्यों से आने वाले राजा-महाराजा इस हम्माम में स्नान करने के बाद ही बादशाह से मिलने जाते थे। इस हम्माम में सालों पहले सब्जी-फल मंडी लगा करती थी। हम्माम के अहाते में बने लगभग 30 कमरों में फल-सब्जी विक्रेता अपना सामान रखा करते थे। इन्हीं कमरों में 10-12 परिवार भी रह रहे हैं। इसके आसपास बसावट है। घना बाजार है।
लगभग एक हफ्ते पहले इस तोड़ने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। स्थानीय लोगों का कहना था कि कुछ साल पहले तक हम्माम की स्थिति सही थी। लेकिन धीरे-धीरे यह जर्जर होने लगा। यहां एक बिल्डर दीवार तोड़ रहा है। जेसीबी से अहाते की दीवारें गिराई जा रही हैं। कमरे तोड़ दिए गए। इस हम्माम को बचाने के लिए लोगों ने सोशल मीडिया पर अपील की। हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की है। एएसआई का कहना है कि यह संरक्षित स्मारक नहीं है। लेकिन इसका निरीक्षण करा कर फैसला किया जाएगा।
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