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हाय बुढ़ापा!! ढलता सूरज और बढ़ती तन्हाई
सहनशीलता और धैर्य ही है सच्चे मुसलमान की पहचान
आगरा के समाजसेवी पूरन डावर का आजादी के अमृत महोत्सव पर चिंतन